चुहल | Chuhal

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Chuhal by त्रिवेदीलाल श्रीवास्तव - Trivedilal Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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की बसु व्टटस2 2 खूब नाराज़ हुए, पर जप नोकर ने कहा कि स्वास्थ्य छाभ करने के लिए मुझे; डॉक्टर ने इसक प्रयोग की राय दी है, तय छुछ ठण्ढे हुए | उन्होंने पूछा--इससे छमको फझ फायदा भी हुआ है ? नौकर बोला--जी दॉ , परर्सा जब यह लाया गया था; तब तो इसे मुश्किल से त्तीन आदमी डठा सकते थे, पर धराज मैं ही अरेला इसे लुब्का देता हैं 8० ननन्‍्दीं--फ्र्यों, मछली बहुत जठ्दी बढा करती है ! खाली--ी दो, चाचा जी ने कल पटक मद्दली पकडी । ज्ञव-ज्ञय थे उसका जिक्र करते हे, तर-तय बंद घढती ही ज्ञाती है। ६१ एक श्रफीमच्री शअपनी बीशरी की लाश को पूँक कर श्रा रहा था। रास्ते में किसी ने भूल कर फोठे से उसके सिर पर एक फागज्ञ छोड दिया। उसने उल कागज फो देख कर फदा--तुमने व्दाँ पहुँचने का कुशल-समायार तो भैज्ञ दिया। पर जाते दी तुम देव भाषा सीख गइई। मैं वो तुम्दारी चिट्ठी पढ़ ही नहीं सकता । चर एक फरश्नूस आदमी किसी द्ोटल से अ्रपता डेय ढण्डा




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