बघेलखण्ड के संस्कृत - काव्य | Baghelakhand Ke Sanskrit Kavya

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Baghelakhand Ke Sanskrit Kavya  by राजीवलोचन अग्निहोत्री - Rajiv Lochan Agnihotri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| बपेलसण्ट के इन संस्कृत कवियों के सम्दस्ध में मेरे निम्नलिखित लेख प्रकाशित हो चुके है-- १०--बधैकू राजवंश गौर साहित्यिक विकास : 'विस्प्यभूमि', रीवा १९४६ २-पद्यनाम मिथ्र ड झ ३--अकब्वरी काबिदास डर हे न्फ ४--जयसिहदेव को रघनाएँ री, के क्र पू--विश्ध्य के प्राचीन साहित्यकार न ल्‍् ६--रघुराजासह की संस्कृत रचनाएँ... : विन्ध्यशित्षा' (रीवा) १६५६ ७--वी रमद्रचस्पू के ऐठिद्वापिक उल्लेख: “वि्यप्रदेश', (रीवा) 1६५६ <८--विश्वनार्थासह के हिन्दी प्रन्प : 'म्रष्पप्रदेश सम्देश/ ग्वालियर, भार्च, १९६२ इनके भ्रतिरिषत मेरी प्रकाशित पुस्तक “संकृत-घाहित्य को वान्धव-नरेश्ञों को देन! में उपयुवठ समो कवियों का छथा उनको उपछब्ध कृियों का संक्षिप्त परिचयात्मक विवरण प्रस्तुत किया गया है । वरयेलखण्ड का यह संस्कृत साहित्य पाण्डुलिपियों के रूप में कहकत्ता*, अलवर*, बोकानेर*, उदयपुर , जोधपुर ५, रीवा*, तथा रामबन* आदि स्पानों के पुस्तकालयों में सुरक्षित है। इनका उल्लेख धाफे को सूचो में मिलता है ।* बहुत सी पाण्डुछिवियाँ अद लुप्त हो चुकी है । उपयुक्त कार्यों को समग्र रूपझे देखने छे शात होगा कि अगी तक वर्घेलखण्ड के साहिए्य एवं इतिहास पर आधारित क्रमवद्ध ओर सूत्रबद्ध कार्य नहीं हुआ है। बहुत सा कार्य निबन्धों के रूप में है, जिनमें काव्यकृतियों को तिषि, विषय और रचनाकार के सस्वन्ध में सामान्य थपूर्ण विवरण प्रस्तुत किये गये हैं। एक भाज्चलिक इकाई के रूप में बपेलसण्ड को ग्रहण कर उसमें प्राप्त मार्तण्ड प्रेत, रीवा : १९५७॥ « रॉ० ए० सो० । « कैंटे० झलवर 1 कैटे० बीफानेर । « कैंदे० उदयपुर | «महाराजा लाइब्रेरे, जोषपूर * सरस्वती कोष भाष्डार, किला, रीवा ) तुलसी सडग्रहालय, रामवन ( सतना ) 1 आफ्रे० । हक रत मन्ल कण हुए [९




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