अष्टादशस्मृति | Ashtadash Smriti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
605
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चर ।
भाषादीकासमेत अष्टादशस्मृतिकी-विषयानुक्रमणिका ।
नं 20(अस्््:27< लत ५
अभिस्थृति १४४
छोगाके हितके लिये मुनि जनोका अश्रि-
ऋणषिले प्रश्न, ऋषिका स्मुृतिनामक
घर्मशासत्रकों बनाना, इसके श्रवण-
पठमफा फल
स्ववशके अलुखार कम करनेखे छोकप्रि-
यता होदी है, चारो व्णाक्का कम
ओर डखसकी डपजोविकाका विचार
ब्राह्मण आदिको पतवित करनेवाढ्वी
क्ियाका कथन कि
क्षत्रियके कर्मका निरूपण, मछशुद्धिका
कथन, ब्राह्मणोका छक्षण.. «««
इष्ट, पृत, यम, नियमादिका विवरण. ७
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पुत्रकी पशला 24. * दे
प्रमादले या आलस्पसे लथ्योछेधनमें
प्रायश्चित्त ४७
जूठा भादि भोजन करनेमें प्रायश्चित्त १०
सुदां पड़नेले अपविन्न मृहकी शुद्धि ... ११
सूतकनिणय .««« न रे
प्रिवेता ओर परिवित्ति इनके दोष-
कथन 3) «२५
चाँद्रायण ऋच्छाविकृच्छ का कथन... १६९
स्त्री और जूद्रोंकी पत्तित करनेवाले
कमेका कथन हे बन” १६
भोजनमें निषिद्ध पात्र... ... २१२
छः भिक्षुक्ध होते है .. -» रे४
घोवी आदिके अन्नभक्षणमें प्रायश्चित..
भोर चंडाल आदिके अन्नभक्षणमें
पायश्चिनत्न द् हे
ख्लियाकों प्रतिमास रज निकछनेसे
खदा शुचित्दका कथन. ««« २८
मदिरासे छुए घडमेंसे जकूपानमें प्राय-
श्वित्त,जूता, विष्ठा आदिसे दूषित
कूपका जल पीनेखे प्रायश्वित्त .... २९ ““
गोवधक़ा प्रायश्चित्त हडंह के,
दूषित जलके पानमें प्रययश्चित .. रेरे
स्प्शोस्पशदोषका प्रायश्रवित._... रे५
शूदके यहा का जल पानक्रनेमें प्राय-
श्चवित्त ह हम «०... ३६
पतितका अन्न खानेमें न्राह्मणको प्राय-
श्वित्त ाह बे २७
पशु वेश्यागंमन करनेमें प्रायश्वित्त... . रे<
रज़स्वछा सख्रीकषी कुत्ता भादिके स्पर्श
छेशुद्धि ... ०... «० ७ मर,
मृद्षे ब्राह्मणके मारनेमें प्रायश्रित्त ... ४१
बविल्ठछीआदिसे उच्छिष्ट अन्नके खानेमें
प्रायश्चित्त ओर ऊंट आदिक्की गाडी-
पर्बेटनेमें प्रायश्रित .... ... ”
अभक्ष्य अन्नके भक्षणमे प्रायश्चित्त... ४३
अमगछ पदाय सेवनका निषेध, मौन
करनेके स्थान ओर उसका फछ.,.: ४४
बहुविध दानोका फक्क - »« ४६
दान देनेमें योग्य ब्राह्मण... >-« ४८
श्राद्धकाक, भाद्धदानकी प्रशंसा और
ब्सका फट «न गज हे
दशविध ब्राह्मणो क्षा निदषण . ... ५२
दान देनेमे भयोग्य ब्राह्मगोंका कथन ५३
अत्रि्ीने बनायी हुई स्घतिके अवण
पठनका फल... 5 ब्डंन जप
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