अष्टादशस्मृति | Ashtadash Smriti

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Ashtadash Smriti by पण्डित श्यामसुन्दर लाल - Pandit Shyamasundar Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चर । भाषादीकासमेत अष्टादशस्मृतिकी-विषयानुक्रमणिका । नं 20(अस्््:27< लत ५ अभिस्थृति १४४ छोगाके हितके लिये मुनि जनोका अश्रि- ऋणषिले प्रश्न, ऋषिका स्मुृतिनामक घर्मशासत्रकों बनाना, इसके श्रवण- पठमफा फल स्ववशके अलुखार कम करनेखे छोकप्रि- यता होदी है, चारो व्णाक्का कम ओर डखसकी डपजोविकाका विचार ब्राह्मण आदिको पतवित करनेवाढ्वी क्ियाका कथन कि क्षत्रियके कर्मका निरूपण, मछशुद्धिका कथन, ब्राह्मणोका छक्षण.. ««« इष्ट, पृत, यम, नियमादिका विवरण. ७ न-।0 2६४ ० ब्८ पुत्रकी पशला 24. * दे प्रमादले या आलस्पसे लथ्योछेधनमें प्रायश्चित्त ४७ जूठा भादि भोजन करनेमें प्रायश्चित्त १० सुदां पड़नेले अपविन्न मृहकी शुद्धि ... ११ सूतकनिणय .««« न रे प्रिवेता ओर परिवित्ति इनके दोष- कथन 3) «२५ चाँद्रायण ऋच्छाविकृच्छ का कथन... १६९ स्त्री और जूद्रोंकी पत्तित करनेवाले कमेका कथन हे बन” १६ भोजनमें निषिद्ध पात्र... ... २१२ छः भिक्षुक्ध होते है .. -» रे४ घोवी आदिके अन्नभक्षणमें प्रायश्चित.. भोर चंडाल आदिके अन्नभक्षणमें पायश्चिनत्न द् हे ख्लियाकों प्रतिमास रज निकछनेसे खदा शुचित्दका कथन. ««« २८ मदिरासे छुए घडमेंसे जकूपानमें प्राय- श्वित्त,जूता, विष्ठा आदिसे दूषित कूपका जल पीनेखे प्रायश्वित्त .... २९ ““ गोवधक़ा प्रायश्चित्त हडंह के, दूषित जलके पानमें प्रययश्चित .. रेरे स्प्शोस्पशदोषका प्रायश्रवित._... रे५ शूदके यहा का जल पानक्रनेमें प्राय- श्चवित्त ह हम «०... ३६ पतितका अन्न खानेमें न्राह्मणको प्राय- श्वित्त ाह बे २७ पशु वेश्यागंमन करनेमें प्रायश्वित्त... . रे< रज़स्वछा सख्रीकषी कुत्ता भादिके स्पर्श छेशुद्धि ... ०... «० ७ मर, मृद्षे ब्राह्मणके मारनेमें प्रायश्रित्त ... ४१ बविल्ठछीआदिसे उच्छिष्ट अन्नके खानेमें प्रायश्चित्त ओर ऊंट आदिक्की गाडी- पर्बेटनेमें प्रायश्रित .... ... ” अभक्ष्य अन्नके भक्षणमे प्रायश्चित्त... ४३ अमगछ पदाय सेवनका निषेध, मौन करनेके स्थान ओर उसका फछ.,.: ४४ बहुविध दानोका फक्क - »« ४६ दान देनेमें योग्य ब्राह्मण... >-« ४८ श्राद्धकाक, भाद्धदानकी प्रशंसा और ब्सका फट «न गज हे दशविध ब्राह्मणो क्षा निदषण . ... ५२ दान देनेमे भयोग्य ब्राह्मगोंका कथन ५३ अत्रि्ीने बनायी हुई स्घतिके अवण पठनका फल... 5 ब्डंन जप




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