बुद्धिधन | Buddhidhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
504
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
मुनि नथमल जी का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के टमकोर ग्राम में 1920 में हुआ उन्होने 1930 में अपनी 10वर्ष की अल्प आयु में उस समय के तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालुराम जी के कर कमलो से जैन भागवत दिक्षा ग्रहण की,उन्होने अणुव्रत,प्रेक्षाध्यान,जिवन विज्ञान आदि विषयों पर साहित्य का सर्जन किया।तेरापंथ घर्म संघ के नवमाचार्य आचार्य तुलसी के अंतरग सहयोगी के रुप में रहे एंव 1995 में उन्होने दशमाचार्य के रुप में सेवाएं दी,वे प्राकृत,संस्कृत आदि भाषाओं के पंडित के रुप में व उच्च कोटी के दार्शनिक के रुप में ख्याति अर्जित की।उनका स्वर्गवास 9 मई 2010 को राजस्थान के सरदारशहर कस्बे में हुआ।
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
महाराजा-प्रिये ! ऐसा कोई सड्डृट नहीं पर हां किसी आव-
श्यक विचारमें लीन हूं. ४
महारानी-पृथ्वीनाथ ! यथाये है, परमात्मा आपको किसी
सडुटमें मग्न न करें दासीके सुखसे यह बुरे शब्द निकल पढे आप
करूपाकर क्षमा कीजिये और उस आवश्यक विचारकों प्गठकर मेरे
दिलको शान्त कीजिये
महाराजा-झुवदने ! किसी मत्लुष्यने मुझे विना नामका एक
पत्र लिखभेजा है उसमें लिखाहे कि, क्रोडीमठ वढा नमक हराम
है, कलवाढी वात उसने छोगोंमें जाहिर करेंदी है, अब इसको
रखना उचित नहीं, छाहोरीमलको मंत्री पदूपर नियत किया जाय
प्रिये |! वात तो कुछ नहीं है किन्तु भें अपनी मजाक दिल दुखा-
कर कोई काम करना नहीं चाहता, अब मैं इस विचारमें हूं कि,
यह काम किसका है, पत्रका लिखने वाला कोन, और क्रोडीमछने
उस वातकों ऐसे रूपमें कही या नहीं कि जिससे प्रजाक्े अज्ञान्ति-
का फरिण हो,
' महारानी-स्वामीनाथ ! हकीकृतमें याद क्रोडीमलने उस वातकों
लोंगोमें बुरे रूपयें जाहिर की है तो यह उत्तरी मूर्॑ता है, पर में
“नहीं भान सकती कि क्रोटीमलने उस बातकों कही हो.
महाराजा-मिये ! क्रोहीमछके कहनेका एक कारण हो सकता
है कि छाहोरीमहूका परिचय मेरेसे कहीं वदू न जाय,
महारानी-इसमें राहोरीमलका क्या सम्बन्ध ? और छाहोरी-
मलकी क्या हाने !
महाराजा-लाहोरीमलके नामपर उस बातकों कही होगी कि
जिससे पजाके अशान्तिका कारण हो, और मैं उसपर क्रोषित होऊं,
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