गूंगी मछलियाँ | Goongi Machhaliyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्स्त्रो
अनूप
रधिया
झनूप
रधिया :
अनूप
रधिया
झनूप
रधिया
'रधिया
भ्रनूष
रघिया :
अनूप
धनूप
रधिया
पझनूप
शधिया
: (खुककर अभिनय को मुद्रा में) यत्त माई लेडी !
£ (हँसकर) तुम बिल्कुल नही बदले 1
४ गमिरगिट की तरह रंग बदलने वाले और होते हैं, रधिया ! अनूप
तो कारी काँवरि है जिस पर दूसरा रग चढ़ हो नहीं सकता।
(रघिया हेसती है ।) कहाँ है मनोज का बच्चा ?
कचहूरी गए हैं। श्राते हो होगे ।
: दोस्त के लिए एक दिन कचहरी नहीं छोड़ सकता ! मेरा तार
नहीं मिला था क्या ?ै
४ कोई जरूरी मुकदमा था । तुम बेठो आराम से। मैं श्रभी चाय
बनाती हूँ ।
: चाय मैं पीकर भाया हूँ ।
: कहाँ से ।
: स्टेशन से । वहीं सामान छोड़ झाया हूँ । (सोफ़ पर बेठकर
सिगरेट सुलगाता है।)
: क्यों ? सामान स्टेशन पर क्यों छोड़ भाए ?
: क्रूरी काम से बनारस जा रहा हैं । मनोज से मिलने के लिए
ही रुक गया ।
लेकिन तुम तो तीन बजे श्राने वाले थे ।
४ गाड़ी लेट भ्राई तो मेरा कया कसूर ?
रधिया :
लेकिन भैया, ऐसी मेहमानदारी भी क्या ? बरसों के धाद आए
हो । बाबूजी के ब्याह में भी नहीं भ्ाएं। और भ्रव***
४ वापसी में रुकूंगा दस-पाँच दिन । तव जी भरकर खातिरदारी
कर लेता । हाँ, यह् तो बताओ, तुम्हारी बहू रानी कौसी हैं ?
: बहुत भच्छी । रूप भौर गुन दोनों की खाद ।
४ तब तो मनोज खूब चाहता होगा उन्हें ॥ (रधिया सौन रहती
है) बोलती वयों नहीं ?
४ भव क्या बताऊँ, भैया ! उनके घ्िर पर तो मीना का भूत
अब
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