उम्मेद है अक्षय पद की | Ummed Hai Akshay Pad Ki

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है. (संग्रहणी संहारक) गम्भीर तार रव पुरित-दिग्विभाग स्त्रेलोक्य लोफ-शुभ सद्भम-भूति दक्ष: । सद्धमंराज जय घोषण-घोषफ: सन्‌, खे दुन्दुभिध्वेनति ते यशसः प्रवादी 11३२॥॥ (सर्वे ज्वरनाण संहारक) मन्दार-सुन्दर-नसेरु-सुपारिजात सन्‍्तान कादि कुसुमोत्कर वृष्टिरुद्धा । गन्धोद बिन्दु-शुभसन्द-मरुत्प्रपाता, दिव्या दिचः पतति ते वचसां ततिर्वा ॥३३।॥। (गर्भ संरक्षक) शुश्रत्प्रभावलय-भूरिविभा विभोस्ते, लोकत्रय-चझ्ुति मर्तां चुति साक्षि पन्‍्ती । प्रो्यूद-दिवाकर-निरन्तर भूरिसंख्या, दीप्त्या जयत्यपि निशासपि सोसम-सोस्यास्‌ ।३४। (इति भीति निवारक) स्वर्गा पवर्ग गम मार्ग-विभार्ग णेष्ठः सद्धम तत्व कथनेक-पटुस्त्रि लोक्या: । दिव्य ध्वनिर्भवति ते विश दार्थ सर्वे भाषा स्वभाव-परिणाम गुर्णः प्रयोज्यः (३५॥।




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