सोलह महासतियाँ | Solah Mahasatiyan

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Solah Mahasatiyan by मुनि दिनकर - Muni Dinakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्राह्मी और सुन्दरी दोनों बहनें थीं । दोनों ही भगवान ऋषभ की पुत्रियां थीं, ब्राह्मी भरत की और सुन्दरी बाहुबली की सगी बहन थी । जीवन के जिस समय में ब्राह्मी दीक्षा लेने जा रही थी, उस समय सुन्दरी का मन भी दीक्षा के लिए उतावला हो उठा था 1 यह स्वाभाविक भी था | क्योंकि कुछ व्यक्तियों में देखा-देखी वैराग्य की जागृति भी हो जाती है और वह पूर्णरूपेण कसौटी पर वही उतरती है | सुन्दरी को भी ऐसा ही हुआ था । किन्तु सुन्दरी की यह मनोवांछा उस समय पूरी नहीं . हो सकी । सुन्दरी का यौवन और लावण्य बड़ा ही अद्भुत था | वह उस समय की एक सर्वश्रेष्ठ सुन्दी थी । चक्रवर्ती भरत उसके रूप लावण्य पर आसक्त थे । यह बात आज अटपटी ल्‍हुग सकती है कि अपनी ही बहन के प्रति एक भाई की ऐसी भावना कैसे हो सकती है । . किन्तु यह कोई अनहोनी बात नहीं थी, क्योंकि उस समय यौगलिक . : पद्धति चालू थी | उसमें भाई-बहन का जोड़ा जन्म ग्रहण करता और वही आगे चलकर पति-पत्नी के रूप में परिवर्तित हो जाता । भगवान ऋषभध के सप्रय यौगलिक परंपरा अन्तिम श्वास ले रही थी 1 फलतः एक जोड़े में से अचानक पुरुष की मृत्यु हो गई | वह उस समय की प्रथम अकाल मृत्यु थी, सभी असमंजस में थे कि आ उस अकेली नारी की क्या व्यवस्था हो, अंततः निश्चय किया गया वि. उसे राजा ऋषभ को सौंप देना चाहिए । वैता ही किया गया, लोगों की प्रार्थना और नारी की सुव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ऋषभ ने उसे पत्नी के रूप में स्वीकार किया । प्रथम पत्नी सुमंगला के भरत आदि निन्‍यानबे पुत्र हुए जबकि दूसरी पत्नी सुनंदा के एक पुत्र बाहुबलि हुए । भरत ने




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