शिक्षा में अहिंसक क्रांति | Shiksha Men Ahinsak Kranti

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Shiksha Men Ahinsak Kranti by महात्मा गाँधी - Mahatma Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निवेदन “शिक्षा मे अहिसक क्राति” तीसरी बार छप रही है। किताब की भाग बहुत हो रही थी इसलिये इसे जल्द छपवाना पड़ा । इस बार इस किताब मे से पाठ्यक्रम का वह हिस्सा निकारू दिया गया है जिसमें हमारे तजुर्बे और अनुभव के आधार पर अब काफी सुधार किया गया हे । इनके सिवा किताब में और कोई तब्दीली नही की गई है । नया पाठ्यक्रम अरूग छपवाया जा रहा हे । आयेनायकम सेवाग्राम ( वर्धा ) मत्री, ता २२-४-/४९ हिन्दुस्तानी तालीमी संघ चोथा संस्करण “ शिक्षा में अहिसक क्रांति /” के इस चौथे सस्करण में पिछले सस्करण की अपेक्षा कोई परिवर्तन नही किये गये है । नई तालीम के प्रारम्भ और इसकी मूल कल्पना को समझने के लिये उत्सुक पाठकों के लिये यह पुम्तक बहुत सहायक है। विशेषत: नई तालीम की ट्रेनिंग पाने वाले शिक्षकों ने इसकी बहुत मांग की है। इस क्रातिकारी शिक्षा के सम्बन्ध में अनेक प्रश्तों का उत्तर और शंकाओं का समाधान सन्‌ १९३७-३९ में स्वयं गांधीजी ने “हरिजन ” पत्र में किया है । किन्तु आज भी कभी-कभी नये लोग वे ही प्रश्न और शांकारओं श्रस्तुत करते हैं । उनसे हमारी प्रार्थना है, कि इस पुस्तक को ओक बार पूरी पढें, इसका मनन करें, और जहां-जहा सच्चे रूप में नई तालीम का काम चल रहा है, वहां जाकर प्रत्यक्ष सब बातों को देखें, और समझें। इस तरह उन्हें इस क्रातिकारी शिक्षा की वारतविकता का अनुभव हो सकेगा । १ ५-५०- ५ ३ “ अवेशफक




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