गुप्त भारत की खोज | Gupta Bharat Ki Khoja

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Gupta Bharat Ki Khoja by डॉ. पाल ब्रंटन - Dr Paul Bruntonवी. वेंकटेश्वर शर्मा - V. Venkateswara Sharma

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वी. वेंकटेश्वर शर्मा - V. Venkateswara Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(८ ) उन दाशनिक बिषयों पर बहस की जो अनादि काल से मनुष्य के चिन्तन के विषय बने हुए हैं । कभी कभी विनोद झथवा दिल बलहाने के लिये मैंने जादूगरों और करामात दिखाने वाले लोगों के तमाशे भी देखे जिनसे मुझे अनेक विचित्र अनुभव प्राप्त हुए । में स्वयं ही खोज श्र जाँच करके आजकल के योगियों के बारे में सच्ची और सही घटनाश्रों का संप्रह करना चाहता था । मु गव है कि पत्रकार-कला का अनुभव होने के कारण झसली बात को मकट पहचान लेने की योग्यता मुभमें थी श्रौर सम्पादकीय कलम चलाने की पढटुता होने से भकूठ और सच की परख करने में मुझे कोई कठिनाई नहीं हुई । इस पेशे में काम करने वाले को हर कोटि के व्यक्तियों के सम्पक में आना पड़ता है उनकी चिथड़े लपेटे हुए भिखमंगों से लेकर आरामतलबी से रहने वाले लख- पतियों तक पहुँच होती है । अतः इस अनुभव ने हिन्दुस्तान के विभिन्न कोटि के वासियों के बीच सच्चे योगियों की खोज कर लेने में मेरी बड़ी मदद की । साथ ही मेरा आन्तरिक जीवन मेरी बाहरी बनावट से बिलकुल विपरीत है । मैंने अपना फ़रसत का समय रहस्यमय पुस्तकों का च्ध्ययन करने अथवा अल्प-ज्ञात मनोवेज्ञानिक तथ्यों की खोज में बिताया है । प्रच्छन्न रदस्यों का पता लगाना ही मेरा प्रिय विषय रहा दै । इसके साथ ही बचपन से ही प्राच्य संसार सम्बन्धी बातें मुमे आकर्षित करती रही हैं । सब प्रथम बार भारत आने के पहले से ही प्राच्य विषयों की चचाो सुन कर मेरा मन आनन्दविभोर दो जाता था । अन्त में श्पनी इस रुचि के कारण में एशियाई देशों के पवित्र प्रंथों उनकी पांडित्यपूण व्याख्याओों तथा प्राच्य सन्तों के उन्नत विचारों जहाँ तक उनके अंगरेज्ी अनुवाद उप- लब्ध हो सके के अध्ययन की ओर प्रेरित हुआ ।




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