खोज की कहानियाँ | Khoj Ki Kahaniyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३
होदी है शिरयें पंटियां बंच्री रहती हैं. छो इजती हैं भौर गूर ते
एमडी धामाज घुताई देगी है। जब यह हरफारे सश्कारी पत्र लेकर
शोडते हुए एक पांग से बुसरे गाँच ता जाते हैं तो पंटो की प्रादाज
सुर कर बहा का हरकारा तंयार रहता है घोर छागज दो लेकर
हुएस्त प्रपणे स्पात पर पहुँबा देता है। फुबलेशो को इन पैदल बोहने
बाते हरकारों से उस स्पारों के हमाआार जिन तह पहुँचने में
सापारण पादी को इस दिन लगते हैं एरू शित भ्रौर रात्रि में मिस
चाते है।
सार्भो पोछ्तो को पहलौ याद्ा सआा् गुृजसेपाँ के शझादेश से
रक्षित्त परचम भुटटर पूररन प्रान््त की प्रोर हुई। पार पहौीते
असकर बह पूतात पहुँचा। राजधानी से दस मी पर सानलाश
हुई पर थज हुए शंयमर्मर के सुँदर धुज को उससे घहुत प्रतिक
प्रश्षण्षा को है। यूजाल प्राम्त रू सुशप शबर लैपूमान तढ् मार्को पोणो
को बहुत ते सुंदर घेशवशात्रों शार व्यापारिक केशा कारीपरी के
स्थान डिस्तृत हुऐ भरे ऐेत प्रौर भ्रपुर दी पेशों मे भरे हुए रण
दिखलाईं शिए ।
हांगहो सहातद को देखशर सार्शो पोणो ते सिद्धा कि यह सदी
इतनी चीड़ी है कि उस पर पुस सही रुत सकता |
पाम्ही प्राम्द में जब साको पोला पहुँचा तब उप यह देशकर
प्राएधर्य हुप्मा कि उस प्रास््त में रेमम वहुन झ्द्िक उत्पन्क किया
जाता है हया रेप्म भौर सोने के सार मि्ताहूर बह अहुसूस्प कपनए
डमाया चाता है। सारे पराश्त में जौदन शो प्राबस्यक्ता को सभी
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