आत्माओं को अपनी फिराने का ईश्वरीय उपाय | Atmaon Ko Apni Or Firane Ka Ishwariya Upaya

Atmaon Ko Apni Or Firane Ka Ishwariya Upaya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(११ ) भर की £ प्रजा हिन्दुस्तान में है । ये हसारे संगी प्रजा हैं परंदु इनमें १०० में से कवल एक खोट्टयान है, चार शेष < में से केवल थोड़े लोगों के मध्य सिशनरियों को उचित रीति से कार्य करने का अवसर हाथ लगता है । इस देश सें द्विन्दुओं की संख्या भ्रघिक है श्रौर इस कारण जाति बंधन के बल का परिणाम पुरुष, ख्री श्रौर बालकों के जीवन की अनेक प्रकार से हानि पहुँचाता है । बहुघा बचपन ही में लड़कियों की मंगनी दो जाती और वे विवाहित समभी जाती हैं । ८ धार १९.चर्ष का उमर में डी थे पत्नियां हो जातीं श्रौर यदि विवाह से पहले ही उनके हानहार पति सर जानें तो वे बेचारी जीवन भर क लिये बिधवा दो जाती हैं । “विधवा” शब्द का अर्थ ही कड़वाहट है और किसी स्तर का बिघवा होना उसके पदिले जन्म के पार्पों का फल समझा जाता है इस लिये विधवा का भाग्य घुखित' भ्रौर श्रापित है। ब्राजकल २६०००००० बिधवाएं हिन्दुस्तान में हैं, इनमें 'से उश००० ता' वीस वर्ष से कम उमर की हैं । ११४५००० दस दर्ष से कम उमर की श्ौर २०००० पाँच वर्ष से “ कम .झवस्था की हैं। ' विधवा को दिन में केवल एक बार माजन मिलता है श्रार मद्दीने में बहुधा १० से २० दिन तक उपवास फरना,'पढ़ता दे झार धरती पर सोना पढ़ता है।




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