कैमरे की कला | Camre Ki Kalaa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)को समझना होगा । विछकुल ठीक फोकस वाला प्रतिविम्व लेने के लिये ऐसे लेन्स
को एक इच (2354 सें मी ) के दो या तीन हज़ारवें हिस्से पर व्यवस्थित करना
आवश्यक है | आप स्वय इस वात को मानेंगे कि केवल इस प्रकार की परिशुद्धता
की व्यवस्था के छिये ही नही बल्कि इसे वाद तक वनाये रखने के लिये भी लेन्स
और कैमरे के अगले भाग का वाफी अच्छा वना होना ज़रूरी है ।
कैमरे के ढाचे के लिये चादर-धातु, सामान्यतया इस्पात या प्लास्टिक, वाफी अच्छी
होती है, परन्तु उत्तम टाचे के लिये मिश्रधातुओ वी ठप्पा-हछाई (१1० ८४४) के बाद
उहे मशीन द्वारा निश्चित आकारो में टाल दिया जाता है। फिर ये असावधानी
से इस्तेमाल, बुरे मौसम और ताप के परिवतनो के कारण खराब नही होते और इनसे
कैमरे का कार्यनिष्पादन एक ही कोटि का रहता है 1
जब कैमरे में स्थायी रुप से एक लेन्स छगा हुआ होता है तो उसे एक बार
हमेशा के लिये फिट करके छोड देना कोई मुश्किल वात नही है | परन्तु कुछ कैमरे इस
प्रकार के होते है कि उसी पकार के कैमरे मे किसी का कोई भी लेस फिट हो
समता है। इस मतलब हुआ उच्च परिशुद्धता वी कारीगिरी और उस कमरे का
बहिप्कार जो कि मानक स्तर से नीचे का हो। यही वारण है कि ऐसे कैमरे इतने
महगे होते हैं ।
यह वात नहीं थिः ढाचे के अगले हिस्से पर ही सारी बात निभर करती हो ।
यह बात भी कम महत्व वी नहीं है कि प्रत्येक उद्भासन वे समय फिल्म पूरी तरह
से सीधी और एक ही स्थान पर वनी रहे ।
फिल्म धुमाता
फिल्म को घुमाने का सबसे साधारण तरीका यह है कि घुण्डी को घुमाते जाइये
और कैमरे के पीछे की छोटी खिडकी पर फिल्म की छोटी सख्याओ के प्रकट होने
को देसते रहिये । आपने यदि कभी फिल्म के पीछे का वागज़ नही देखा है तो अपने
दुवानदार से ऐसे एक पुराने कागज को माग लीजिये । इसे वेकर आप अपने बमरे
में भरकर देख सकते है कि यह कैसे होता है।
पुराने कैमरों में गहरी छाल खिडकिया होती है परतु आधुनिक फिल्मो के लिये
यह जरूरी नही कि ये ठीक हो । सयसे अच्छा तो यह है कि जब तक कि आप फिल्म
नधुमा रहे हो, सिडकी फो उके रणिये और फिल्म घुमाने का वाम आप छाव मे ही परें।
वाई बैमरों मे स्वचालित गणित्र (८०४ा७॥) होते है । ये प्राय घुण्टी द्वार
धुमावों वी सस्या के आधार पर काय बरतने है । अय क्मरो में छोट-छाट रांखरों
द्वारा चालित अधिव परिशुद्ध विधि होती है, जो वि फिम वे घूमा से दम जााड़ +
एक प्रकार मे, रोलरो में छोटी छोटी तेज पिने होती है व्रत कुक: न
हक
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