सूरज नया निकलने दो | Sooraj Naya Nikalne Do

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
2 MB
                  कुल पष्ठ :  
212
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जी रहे हि सब भले
हैं मगर बिन घौंसले
हो गये हैं क्या से क्या
थे कभी अच्छे भले
फिर उठो दुर्गनन््ध कहीं
और किस के पर जले
सू किसी को भी नहीं
घड़कना है, घड़कले
मौत ही को छोड़ कर
सब मेरे आगे चले
'मेत्रः जायेगा कहाँ
घर हुए हैं खोखले
7 11 कलनया निकलने की; : ड
1६3
 
					
 
					
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