सूरज नया निकलने दो | Sooraj Naya Nikalne Do

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Sooraj Naya Nikalne Do by भानु मिश्र - Bhanu Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जी रहे हि सब भले हैं मगर बिन घौंसले हो गये हैं क्या से क्या थे कभी अच्छे भले फिर उठो दुर्गनन्‍्ध कहीं और किस के पर जले सू किसी को भी नहीं घड़कना है, घड़कले मौत ही को छोड़ कर सब मेरे आगे चले 'मेत्रः जायेगा कहाँ घर हुए हैं खोखले 7 11 कलनया निकलने की; : ड 1६3




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