मीर कासिम | Meer Kasim

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Meer Kasim by हरिहरनाथ शास्त्री - Hariharanath Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रध्तावना। छ , इनकी शिकायत लिख भेजी | अमन्‍्तमें उन्हें आज्ञा दे दी गयी कि धह रामवारायणके साथ अपनी इच्छाके अनुसार न्यायोचित व्यवहार करें । रामनाययण हिसाब समझानेऊे लिए बुलाये गये । परन्तु इनका प्रबन्ध तो चुटियासे परि- पूर्ण था। धूर्तता, चालवयाजी और चेईमानी भरो पडी थी। हिलाब समझाते तो फ्या सममकाते ? इन्होंने श्रपनेको नयायकी दयापर ही समर्पित करना उचित समझा । थह गिरफ्तार कर लिये गये । कुछ द्नातक तो श्रजीमावादमे ही रसे गये, फिर मुरिदाबाद भेज दिये गये । रामनारायणकी खबर लेनेफे पश्चात्‌ नवायने बिहारके उद्धत जमीन्दारोकों नीचा दिखलानेका मिश्चय किया 1 पश्चिमी विहारके जमीन्दाए धजापर मनमाना अत्याचार कर रहे थे। वे छोटे छोदे किले बना निर्वलोॉकों कुचल कर अपनी शक्तिका प्रसार करनेम॑ लगे थे। मीर कासिम खय इनके पिरुदध चल खडे हुए। जमीन्दार लोग नयाबके विरुद्ध खडे न रह सके और गद्ा पारकर गाजोपुरकी ओर चले गये। सरकारों अफखर नियुक्त किये गये, इनके किले गिरवा डाले गये ओर इनकी शक्ति पूर्णत चूर्ण कर दी गयी। बिहार प्रान्तके अन्य जमीन्दार कमकर यो, चुनि यादर्सिह और फतहलिंह आदिको भी मीर कासिममे मीचा दिखाया। राज्यसे अराजकताका मूलोच्छेद ओर शान्तिको स्थापना हुई । ऋण चुफता हो गया। सन्धिकी शर्ते पूरो हो गयीं । सभफती हुई विद्ोद्ददी आग भी शान्त कर दी गयी। नयाव भोर कासिमझे शासनकी बास्तविक नींव पड गयी। अगर इन्हें अपनी शक्तिको दृढ़ और स्थायी बनाना था।




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