धर्म्म नीति दर्पण | Dharmm Neeti Darpan

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Dharmm Neeti Darpan by जयदत्त शर्मा - Jayadatt Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(६१) सन्तोषम्परमास्थाय सुखार्थी संयतेसंबत्‌।: सन्तोषमंलंहिं सुख दुःखसूल विपययः ॥ २७ सं» परेम संन्तोप को पाक संखाथों संयम (अंथात्‌इन्द्रियं/मिंग्रद) करें क्यों कि सुस्त को जड़ संतोष है दुछकोजड़ असंतोष है । तुल्यभिन्द।स्तुंतिमीलि संतुंषो येंन केनचित्त्‌ 1 अनिर्केतं; स्थिस्मंति भक्तिमांन्‌ सें प्रियोंज़र;.॥र८ा॥. ग० जिम्दा स्तुति के ससान जान प्रशेजन के अंनुसार वत्तांव॑ करें और जेः प्राप्त ऐे। उप्त से संतुट८हे। चुद्धि'स्थिर:रके ऐसा संक्तिसांनू पुरुष ईजंवर के प्यारा- है- 1 सम शचीच सित्रेच तथासाना पसानसेपः शौताएंण सु्खदुःसलेषु समा संच्ुर विवैजितः ॥शूल॥ ग० शत्रु सिंच' सोन अपमोन की धभान जॉने त्रीर शोत ऊष्ण और सुख दुःख में ममतारख अंभंग रछे।ः .., प्रलये भिन्न. सयोदा सतन्ति किलसागरा:). एगस भेद समिच्छुन्ति प्रलयेषपि नसाधवः ॥३:०॥) चा.० मसुद्ध प्रलथ के समय में भपनी मर्थेदा का.छिड़देते हैं ओर सागर भेदकी इच्छासो रखते हैं परन्तु माधुततेग, प्रसय द्वेनेपर भी अपनो;, मर्यादा के! सडो' छाडते 1 'देडा :तदपि तजत समर्याद नघ्तिं साधु सभांव गंभीर! प्रलंयऋत्लइ में-रखें सर्यादा सनधीर-। बह्ोएघ्यायः ससगे शुचि तव॑ लॉंगितां शॉंव्थ संम्रान सु दुःखयेः।. . दाह्िण्ख चाजुरक्षिशत्न सत्यताच सुइृदुगुणाः ॥१॥. हिं० शुद्ध रद्चना, लेम ने करंना, बींरता, संस दुःख समान सानना, भद्भता, स्ेंद्र मोर सत्य परे येटमिच के गुण हैं।..




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