सन्त मत दर्शन | Sant Mat Darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
329
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाग ३ शइ
३७)
मुझे आपके पत्र से यह जानकर अफ़सोस हुआ कि आपकी पत्नी
ने धमकी दी है कि अगर आप शाकाहारी भोजन और सत्संगियों से
मेलजोल नहीं छोड़ेंगे तो वह तलाक दे देंगी । कृपया याद रखें कि
परमात्मा को पाने की लगन रंखने वाले मनुष्य के रास्ते में, जब वह
परमार्थ के मार्ग में सच्चाई के साथ चलने की कोशिश करता है, ऐसी
परख ओर परीक्षा के अवसर आते रहते हैं । एक सच्चे भक्त को अपने
सही और नेकी के मार्ग से कभी नहीं गिरना चाहिये । नाम-दान के
समय लिये गये वादों को तोड़ने की सलाह में आपको कभी नहीं दे
सकता । बाकी बातें आपको खुद तय करनी होंगी । हर सत्संगी के
जीवन में एक समय ऐसा गाता है जब उसे यह तय करना होता है
कि वह इस दुनिया के क्षणभंगुर सूखों के पीछे दोड़े या परलोक के
सच्चे और स्थाई आनन्द को महत्व दे। मालिक आप पर दया करें
और आपकी मदद करें ।
(३८)
परमात्मा को प्राप्त करने की इच्छा करने वाले सत्तंगी का सबसे
बड़ा शत्रु काम है। यह आध्यात्मिकता और भक्ति की जड़ को ही
काट डालता है । इस पर विजय प्राप्त की जा सकती है, इसके सामने
हथियार नहीं डाल देने चाहियें। यदि आपकी इच्छा हो तो आप खुशी
से विवाहु कर सकते हैं। यह भी एक इलाज है। यदि आप शादी न
करना चाहें, तो पूरी हिम्मत बाँध कर दृढ़ निश्चय के साथ मन को
पक्का कर लें कि किसी भी स्त्री पर वदनियती से नज़र नही डालेंगे।
भोजन सादा खायें और उसकी मात्रा कुछ कम कर दें और सप्ताह में
एक दिन उपवास भी रखें । ऐसी संगत और जगहों को टालें जहाँ
प्रलोभन की सम्भावना हो । औरों ने जो कर दिखाया है, वह आप
भी आसानी से कर सकते हैं। सहायता के लिये परमात्मा की ओर
मुड़ें, और आपको सहायता मिलेगी । रोज़ प्रेम, विश्वास और ,
के साथ नियमित रूप से सुमिर्न-भजन करें। इसके साथ ही'
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