श्री मन्नन्दीसुत्रम् | Shree Mannndusutram

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Shree Mannndusutram by हस्तमल मुनि -Hastmal Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रकाशकका वक्तव्य । घन्छुओं ! बडे हर्षका विषय है कि आज स्वर्गीय काकाजी शेठ चन्दन मछजी स॒थाकी सदिच्छासे आगम-प्रकाशन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य करनेका मुझे खुअबसर मिला गतवर्ष दशवैकालिक सूजका हिन्दी व मराठी भाषान्तर दीकाके साथ प्रकाशित किया, उसके बाद छिितीय वर्षमें नन्‍्दीसः प्रस्तुत संर शित किया जा रहा है, इसका संशोधन आदि कारये पूज्य भीने सातारामेंद्री पारम्स कर दिया था जो इस तीसरे वर्ष अहमदनगर चातु- मीसके समय री संकलनसे पूर्ण हुआ, यद्यापि पूज्यश्रीका विचार इस- समय छिखवाकर रखनेका था, तो भी हमारी विशेष प्रार्थनासे वह संशोधित पुस्तक हमको मिली और हमने कई प्रेसोंमें पु! 1छ करनंके बाद पूनाके आयेभूषण प्रेसमें.... निका प्रबन्ध किया । णकाये कार्तिक पूणिमासीतक पूर्ण होसके इस विचारसे आश्विन विजयाद॑शभीमें नन्‍दीसूज्नकी हस्तालिखित प्रति प्रेस मैने जरको देदी गई, किल्तु पसन्दयोग्य कागज मि. नहीं. 1, कागजके तलासमें विलम्ब होनेसे कार्तिक शु०५से ण कायेका आरम्म हुआ, प्रफके आने जानेमें विशेष विलम्ध देखकर प्रेस मैनेजरने कहा कि इसतरह यह मुद्रणका्य १ मम पूर्ण होना अशक्य है, एक संशोधक पूनामें राखिए, तदलुसार मार्गशीष चंद पश्चमीसे भूफ संशोधनके किये व्यवस्था पूनासें की गई, फिरभी पृज्यश्रीकी दृछ्टिमें भूफ एकवार अनिवायें होनेसे १ मासके स्थानमें ? माससे आधिक य॑ ]। प्रस्तुत संस्करण अनेक संस्करणोंके निरीक्षण करके तथा अनेक विद्वान सुनिओंसे शब्वा समाधान करके परिश्रमके साथ सम्पन्न किया गया है, तथाएपे इसकी उपयोगिता व अम्नोंक्ी ता तो पाठकोंके सन्‍्तोषसेही समझी जायगी। | भार्थी- नम्न-मोतीलाल पुथा, सातारा सिटी.




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