वैदिक व्याकरण | Vadic Vyakarana (bhag-i)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राक्कथन इस अन्थ में एक भोर जहाँ पाणिनीय व्याकरण के साथ अन्य शिक्षा तथा व्याकरणसस्बन्धी प्राचीन अन्धों फी तुलना की गई है, वहां साथ ही आधुनिक परिचिमी भाषा-शाख्त्रियों की अभिमत धारणाओं को भी चुछमात्मक रीति से क्षंकेत कर दिया गया हैं। इस कारण इस अन्थ के पाठ द्वारा प्राचीन प्रणाली से ब्याकरण-शाखत्र के पढ़ने-पढ़ाने के कार्य में छमा हुआ विद्या- रसिक वे सी अपने शास्त्र से सम्बन्धित उक्त श्ाधुनिक पर्िचमी मान्यताक्षों से भरी भाँति परिचित द्वो सकेगा । अभी इस अन्थ का प्रथम भाग प्रकाशित हो रहा है, जिस के छः अध्यायों में वैदिक ध्वनि, सन्धि, पद-पाठ, नामिक, समाल तथा तद्धित प्रकरणों का समावेश हुआ है। प्रत्येक अकरण के शनन्त में जो टिप्पण दिए गए हैं, वे भी बहुत उपयोगी हैं । उनमें तुलना के लिए प्रस्तुत किए गए प्राचीन न्‍थों के केव्छ पत्ने दी नहीं दिए गए, क्षपितु उनके सूत्रों जादि को भी उद्धृत कर दिया गया है। इससे उक्त मूल अन्थों के साथ मिलान करके अध्ययन करने के लिए पाठकों के पास यदि वे अन्थ नहीं भी होंगे, तो भी उनको इन टिप्पणों के द्वारा पूरा छाम हो सकेगा । शाशा है, वे सब छोग, अध्यापक भी कौर छात्र सी, जिनके उद्देश्य से इस उत्तम ग्रन्थ के योग्य छेखक नें बड़े परिश्रमपूर्वक इसका निर्माण किया है इससे पूरा-पूरा छाभ उठा सकेंगे । विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध संस्थान साधु आश्रम, द्योशियारपुर। विश्वपन्धु ४-८-१०६५७५




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