वेताल पज्जविंशति: | Vetal Pajjvinshati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
276
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ 8. ॥|
यह जब उसे क्रोधित जानकर समझाने की चेष्टा करने लगी तब इसने देखा .
कि वह तो मृतक है। फिर यह अपने शयनणह में आकर चिल्लाने लगी कि
पति ने मेरी नाक काट ली है। इसके बाद वह समुद्रदत्त न्यायालय में पहुँचाया
गया और वहाँ उसको इस अपराध से प्राणदए्ड का आदेश हो गया।
उसी रात में एक चोर वसुदत्ता के घर में चोरी करने के लिये गया था ।
उसने कुतूहलवश सम्पूर्ण घटना देखी थी। एक निरपराध को प्राणदण्ड
से बचाने के लिये उसमे सब वृत्तान्त कह दिया तथा शव के मुख में इसकी
कटी हुई नाक भी दिखला दी । फिर न्यायाधीश ने समुद्रदत्त को मुक्त करके:
वसुदत्ता को कान भी काट कर देश से निकाल दिया। देखें राजकुमार कि
सख्रियाँ कैसी दुष्ट होती हैं ।
वेताल ने विक्रम से कहा कि महाराज ! वह राजकुमार इसका नि्शय
करने में असमर्थ हो गया | अब तुम बताओ कि स्त्रियाँ अधिक दुष्ट स्वभाव
की होती हैं कि पुरुष अधिक दुष्ट स्वभाव के होते हैं १ विक्रम ने उत्तर दिया
कि हे वेताल | पुरुष कहीं कोई दुष्टस्वभाव का पाया जाता है, स्तरियाँ-तो
अधिकतर दुष्स्वभाव की होती ही हैं । ह
(४ ) शूद्रक नाम का एक राजा था। उसके यहाँ पाँच सो अशर्फियाँ
प्रतिदिन का वेतन लेता हुआ वीरवर नामक एक क्षत्रिय नौकरी करता था।
एक समय कृष्णपक्ष की चतुदंशी की दोपहर रात में जबकि भयड्ूर वर्षा
हो रही थी, राजा ने दूर में किसी के रोने का शब्द सुना। नौकर का
अन्वेषण करने पर वीरवर सामने आया | राजा ने रोदन का पता लगाने
का आदेश दिया | वीरवर स्वामी की आज्ञा के अनुसार एक तलवार के
साथ चल पड़ा। फिर राजा मे सोचा कि इस भयद्जर रात के घने अ्रन्घकार
में इस अकेले राजपूत को मैंने भेजा है, यह उचित नहीं हुआ । में भी इसके
पीछे चलूं | यह सोचकर राजा भी तलवार लेकर छिपकर उसका अनुसरण
करता हुआ गया । वीरवर ने वन में एक तालाब के पास उस रोनेवाली
सुन्दरी त्री को देखा ओर पूछा कि तुम कोन हो तथा क्यों रोती हो ? उस
सुन्दरी ने कहा कि में इस शूद्रक राजा की राजलक्ष्मी हूँ । आज से तीसरे
दिन राजा मर जायगा, इस दुःख से रो रही हूँ । वीरवर ने कहा कि राजा
के जीवित रहने का कोई उपाय हो तो कहो । लद्धमी ने कहा कि केवल एक
उपाय है, यदि तुम अपने पुत्र शक्तिघर को आ्राज ही इस मन्दिर की देवी
को बलिदान करके चढ़ा दो तो राजा फिर सौ वर्षों तक जीवित रहेगा ।
यह कहकर लक्ष्मी अन्तर्धान हो गयी | वीरवर ने अपने घर जाकर पुत्र, पुत्री
तथा पत्नी को भी जगाया और सब समाचार कह सुनाया | सभी इस पवित्र
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