श्री गुरूजी समग्र भाग ५ | Shri Guriji Samrg [ Khand - 5]

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Shri Guriji Samrg [ Khand - 5] by हेडगेवार - Hedgewaar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इग्लैंड में तो एक दिन उनके जाने तथा बाद में उनके लीटने के समाचार को छोडकर कुछ छपा ही नहीं। सयुक्त राष्ट्र सघ के रूप में जो सस्था भिन्न-भिन्न देशों के बीच सघर्ष के अवसर उपस्थित होने पर समझौते का मार्य निकालने का प्रयत्न करने के लिए बनाई गई है, उसकी अध्यक्षा, हमारे प्रधानमत्री की भगिनी श्रीमती विजयालक्ष्मी पडित चुनी गई हैं। यह हमारे लिए आनद की बात है। कितु मुझे तो इसमें हिदुस्थान की वास्तविक प्रतिप्ठा की भावना नहीं, राजनैतिक चाल ही दिखाई देती है। सम्मान का आभास उत्पन्न करके राजनैतिक दृष्टि से यह एक प्रकार की घूस ही है। क्या हमारी शीमाएँ शुरक्षित है? राष्ट्रीय प्रतिष्ठा की मुख्य कसीटी केवल वाद्य सत्कार नहीं हो सकती, वल्कि कुछ और ही है। आजकल राष्ट्र को छोडकर लोग केवल देश की यात करते हैं। क्या उसकी भी सीमा सुरक्षित दिखाई देती है? उसपर आक्रमण करने का किसी को साहस न हो, ऐसी स्थिति है? इस देश के किसी वालक को तो क्‍या, कुत्ते को भी छेडने की हिम्मत न हो, ऐसी वात है क्या? उत्तर नकारात्मक ही मिलेगा। रोज सीमा पर आक्रमण होते हैं। कभी स्त्रियाँ भगाई जाती हैं, तो कभी पशु-धन या धान्य लूटा जाता है। यह अपनी प्रतिष्ठा या सामर्थ्य के परिचय का लक्षण नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से अपनी अवस्था दुर्वल ढै। पाकिस्तान वनाकर हमारे नेताओं ने अपने ही घर में अपना प्रत्यक्ष शत्रु खडा करने की जिस असामान्य राजनैतिक चतुराई का परिचय दिया है, वह अलोकिक है। उसने अमरीका से सैनिक समझीोता करके अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया है। अब हमारे नेता भी कहने लगे हैं कि इससे आक्रमण को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन मिला है। उत्तर में चीन, तिव्वत को खा बैठा है और मानसरोवर तथा बद्रिकाश्रम तक अपना अधिकार जताता है। नेपाल और भूटान में चोरी से शस्त्रासत्र भेज रहा है। घुसपैठ हो रही है। असम तक आतक जमाने के प्रयत्न चल रहे हैं। चीन था पाक की चिता करने का कोई कारण नहीं। हमारा समाज यदि सच्चे स्नेह से जागृत हुआ तो चिता का विषय रहता ही नहीं। हमें अपनी फौज पर पूरा भरोसा है। पर अपने राजनैतिक नेताओं पर विश्वास रखना जरा कठिन बात हो गई है। सच्चा विश्वास तो जनसाधारण पर रहता है। श्री शुरुजी शमग्र खड ५ (छ




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