समाज सुधारक स्वामी श्रद्धानन्द | Samaj Sudharak Swami Shraddhanand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
131
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)4 सगाई
एक साल बाद नानक चद का तवादला फिर बलिया हो गया ।
हमशा की तरह मुशीराम उनकी भा, बहन, भाई सभी लोग बलिया जा
पहुचे । जहा मु शीराम को एक ऐसे स्कूल में भर्ती वराया गया, जहा
अय विपयो के अलावा अग्रेजी भी पढ़नी पड़ती थी । अब तक मुशी
राम भ्रपन घर पर रहकर ही अलग से अग्रेजी का अध्ययन कप्त
थे। उत स्कूल के हंडमास्टर एक बगाली सज्जन मुकर्जी महाशय ये
जो विद्वान एवं अनुभवी व्यवित ये ।
मुकर्जी महाशय न कुछ ही समय म मुगाराम वी प्रतिभा को
पहचान लिया । इस स्कूल में आकर भु शीराम को दो बार पुरस्कार
मिला ।
मुशीराम को बनारस से ही कसरत कुश्ती का क्षौक लग गया
था। बनारस के खुले बातावरण म॑ शारीरिक सौष्ठव के बाद बलिया
के उ मुक्त इलाबे म उहँ व्यायाम और शहरी बनाने के नये नय
आामाम मिले। उहोने गंदा चलाना, कुइझती लडना जसे शारीरिक
व्यायाम करने आरमा' कर दिये । ये उनके शौकिया कम थे ।
उनके पिता नानक चाद उनसे बहुत प्रभावित थे | उहोन मुशी
राम का उच्च शिक्षा दिलवाने का दढ निश्चय कर लिया ।
सन 1973 के दिनो मे बलिया म उच्च शिक्षा का कोई केद्र
नही था । इस कारण उनको बनारस के कवीध्ष कालेज मे भरती कराया
शया | बनारस उस समय उच्च शिक्षा का केंद्र था। जहा दूर दूर से
विद्यार्थी पडन भाते थे ।
बनारस का मवीस काल्लेज़् पढाई लिखाई बौर सुव्यवस्था के लिए
सारे शिक्षा जगत में प्रसिद्ध था ।
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