समाज सुधारक स्वामी श्रद्धानन्द | Samaj Sudharak Swami Shraddhanand

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Samaj Sudharak Swami Shraddhanand by उमा चतुर्वेदी - Uma Chaturvedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उमा चतुर्वेदी - Uma Chaturvedi

Add Infomation AboutUma Chaturvedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
4 सगाई एक साल बाद नानक चद का तवादला फिर बलिया हो गया । हमशा की तरह मुशीराम उनकी भा, बहन, भाई सभी लोग बलिया जा पहुचे । जहा मु शीराम को एक ऐसे स्कूल में भर्ती वराया गया, जहा अय विपयो के अलावा अग्रेजी भी पढ़नी पड़ती थी । अब तक मुशी राम भ्रपन घर पर रहकर ही अलग से अग्रेजी का अध्ययन कप्त थे। उत स्कूल के हंडमास्टर एक बगाली सज्जन मुकर्जी महाशय ये जो विद्वान एवं अनुभवी व्यवित ये । मुकर्जी महाशय न कुछ ही समय म मुगाराम वी प्रतिभा को पहचान लिया । इस स्कूल में आकर भु शीराम को दो बार पुरस्कार मिला । मुशीराम को बनारस से ही कसरत कुश्ती का क्षौक लग गया था। बनारस के खुले बातावरण म॑ शारीरिक सौष्ठव के बाद बलिया के उ मुक्त इलाबे म उहँ व्यायाम और शहरी बनाने के नये नय आामाम मिले। उहोने गंदा चलाना, कुइझती लडना जसे शारीरिक व्यायाम करने आरमा' कर दिये । ये उनके शौकिया कम थे । उनके पिता नानक चाद उनसे बहुत प्रभावित थे | उहोन मुशी राम का उच्च शिक्षा दिलवाने का दढ निश्चय कर लिया । सन 1973 के दिनो मे बलिया म उच्च शिक्षा का कोई केद्र नही था । इस कारण उनको बनारस के कवीध्ष कालेज मे भरती कराया शया | बनारस उस समय उच्च शिक्षा का केंद्र था। जहा दूर दूर से विद्यार्थी पडन भाते थे । बनारस का मवीस काल्लेज़् पढाई लिखाई बौर सुव्यवस्था के लिए सारे शिक्षा जगत में प्रसिद्ध था । है ्




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now