पहली स्थिति अंतिम स्थिति | Pahli Sthithi Antim Sthithi

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Pahli Sthithi Antim Sthithi by चन्द्रा औलक - Chandra Aulak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'वों ही - बस ! उनके कौतृहल को बिटर बिटर ताकतेजयजने उतर हर पूछ, तो देले - “बस, दर्द है। तुम्हरी बहन कहती है - ढ्ग #-कहबेसरसे. मो ८ निर्सविकसे हो गये हों वे. थिकजाए ली “डॉक्टर से क्‍यों नहीं दिखवाते ? उसने सुझाया। 1. 220 “दस, अब दिखवाऊगा । तुम्हारी मा गयी है डॉक्टर का दिन जानने .' फिर कुछ स्वकर का, 'अपनी बताओ, सब ठीक है ? कुछ जरूरत हो मेरी ९ उसने सिर हिला दिया, पर जैसे विश्वास न हुआ हो उन्हे, कहा -- 'में चल सकता हू, यह मत समझना कि पर मे 'दो नहीं है तो मैं उसे बाद मे बता दूगा। और याद रखो, तुम्हारे साथ जाना तुम्हारी मा को गद्य नहीं कभी ! अच्छा ही लगा है। हदात उसने खुद को नियमित किया । मा बेटी दोनों की नजरे एक-दूसरे से गुजरती अहश्य पर टिक गयी हैं। क्षण क्षण को जीतने का विश्वास सजोया है लडकी ने। मा दूर तक सोच गयी, कि बेटी आगत प्रकाशअग्रकाश, सभाव्य-असभाव्य देख सकती है। मा के श्रेष्ठखपा अपने जैसा ही चाहती है बेटी । मा भी कहे कि 'कुछ जरूरत हो मेरी तुम्हे ? पर नर्हीं, वे पापा नहीं बन सकतीं। बेटी कह देगी कि 'आप दो ल्ञायबिलटी हो । -- सच, आज बेटी का टिफिनबॉक्स लगाने वाली गा क्या वे हैं भी ? लडकी भी टिफिनबॉक्स के दायित्व का सोच रही है! आज मा वाला दायित्व मीना के पास है। धककर चूर होने पर भी यह दायित्व निभाना अच्छा सगता है। जिस दिन गुइंडम अपना टिफिनबॉक्स घर भूल जाये, या कभी रौनी की फैक्टरी म॑ छुट्टी होने पर ही, दे देने गुडडम को लच फाइवस्टार झेल मे करवाने जाये तो पापा का 'लच बॉक्स 'लिए स्कूल आना याद आ जाता है। गुड्डम के स्कूल पहुचने वी भागम-भाग मे तैयार होते हुए खुद को जब भी कभी शैश मे निहारा है, तो इस विषय को लेकर भीतर तक पेनीट्रेट करने पर सोचा है कि बेटी को लव खिलाने दी खातिर (प्राय) तरादूदुट करना क्या आज के युग मे सभव है भी २ - या आने वाले कल मे क्या हाथ पाव इतने क्रियाशील रहेंगे, कि हर हफ्ते बेटी को खिलाने के लिए बढिया होटल ले जा सके ? और क्रियाशैलता न रहने पर जब वह मा जैसी हो जायेगी, तब गुड्डम भी उसे । मृबा॥3




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