ऋग्वेद - संहिता भाषा - भाष्य भाग - 4 | Rigved Sanhita Bhasha Bhashya Bhag - 4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
831
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २३ )
सू० [ ५७ ]|--इन्द्र, कृपक जन प्रथिवीपति पूपा। व्यापारी वर्ग
और क्ृपक वर्ग इन्द्र और पूषा ! ( ३-४ ) इन्द्र राजवर्ग, प्रज्ञा पूषा ।
( ६) दोनों की भिन्न व्यवस्था । ( पृू० ४६६-४७१ )
सू० [ ५८ |सक्रि-द्विनवत् खत्री पुरुषों के कत्तेन्य । (२ ) गृह-
पति यूपा । ( छ० ४६८-४६८ )
सू० [ ५९ ]--हू्य अपमिवत् स्त्री पुरुषों के कर्तव्य । ( ५ ) उसका
विद्युत् अश्निवत् वर्णन । ( ६ ) उचम ख््री। पक्षान्तर में विद्युत् का
वर्णन । तेजस्वी स्त्री पुरुषों के कत्तव्य । ( पृ० ४७१-४७६ )
सू० [ ६० |--उत्तम स्त्री पुरुषों के कर्तव्य । उनका उत्तम आदर ।
पक्षान्तर में अप्नि-विद्युत-विज्ञान । ( छु० ४७७६-४८३ )
सू० [ ६१ |-सरम्वती नदी से यन्त्र संचालक वेग और बल प्राप्ति
के समान प्रभ्चु और वेदवाणी से ऐश्वयं, ज्ञान और शक्ति का छाभ । (२)
नदीवत् वाणी का वर्णन. । ( ५ ) सरस्वती चिहुप्री का वर्णन उत्तम विद्या
का वर्णन । ( प्ृू० ४८३-४८९ ) इत्य्टसोव्ध्यायः ॥
हु इति चत्तु्थो5एकः
७ (69229
पश्चमो5छ्ठक:
सू० [ ६२ ]--सूर्य डपावत् विवेचक स्त्री पुरुषों का वर्णन । डनके
कत्तंव्य 1 ( ४७ ) वायु विद्युत्ू, उनके कर्च॑व्य 1 ( ६ ) विद्युत् पवन ।
विज्ञान । वायुयान-निर्माण । पक्षान्तर में स्त्री पुरुषों के कत्तंव्य का वर्णन ।
( ८ ) तेजस्वी प्रजा जनों के कत्तंब्य | ( प्रू० ४९०-४९७ )
सू० [ ६३ |-ख््री पुरुषों के सत् कत्तेव्य | ( ५) उपावत् कन्या
का वर्णन । वर वधू के कत्तव्य । ( पृ० ४९७-७०३ )
सू० [ ६४ |--उपा के दृष्टान्त से वरवर्णिनी वधू और विद॒पी स्त्री
“के कच्तेब्य | ( घू० ७०३-०५०७ )
User Reviews
No Reviews | Add Yours...