ऋग्वेद - संहिता भाषा - भाष्य भाग - 4 | Rigved Sanhita Bhasha Bhashya Bhag - 4

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Rigved Sanhita Bhasha Bhashya Bhag - 4 by जयदेव शर्मा - Jaydev Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २३ ) सू० [ ५७ ]|--इन्द्र, कृपक जन प्रथिवीपति पूपा। व्यापारी वर्ग और क्ृपक वर्ग इन्द्र और पूषा ! ( ३-४ ) इन्द्र राजवर्ग, प्रज्ञा पूषा । ( ६) दोनों की भिन्न व्यवस्था । ( पृू० ४६६-४७१ ) सू० [ ५८ |सक्रि-द्विनवत्‌ खत्री पुरुषों के कत्तेन्य । (२ ) गृह- पति यूपा । ( छ० ४६८-४६८ ) सू० [ ५९ ]--हू्य अपमिवत्‌ स्त्री पुरुषों के कर्तव्य । ( ५ ) उसका विद्युत्‌ अश्निवत्‌ वर्णन । ( ६ ) उचम ख््री। पक्षान्तर में विद्युत्‌ का वर्णन । तेजस्वी स्त्री पुरुषों के कत्तव्य । ( पृ० ४७१-४७६ ) सू० [ ६० |--उत्तम स्त्री पुरुषों के कर्तव्य । उनका उत्तम आदर । पक्षान्तर में अप्नि-विद्युत-विज्ञान । ( छु० ४७७६-४८३ ) सू० [ ६१ |-सरम्वती नदी से यन्त्र संचालक वेग और बल प्राप्ति के समान प्रभ्चु और वेदवाणी से ऐश्वयं, ज्ञान और शक्ति का छाभ । (२) नदीवत्‌ वाणी का वर्णन. । ( ५ ) सरस्वती चिहुप्री का वर्णन उत्तम विद्या का वर्णन । ( प्ृू० ४८३-४८९ ) इत्य्टसोव्ध्यायः ॥ हु इति चत्तु्थो5एकः ७ (69229 पश्चमो5छ्ठक: सू० [ ६२ ]--सूर्य डपावत्‌ विवेचक स्त्री पुरुषों का वर्णन । डनके कत्तंव्य 1 ( ४७ ) वायु विद्युत्‌ू, उनके कर्च॑व्य 1 ( ६ ) विद्युत्‌ पवन । विज्ञान । वायुयान-निर्माण । पक्षान्तर में स्त्री पुरुषों के कत्तंव्य का वर्णन । ( ८ ) तेजस्वी प्रजा जनों के कत्तंब्य | ( प्रू० ४९०-४९७ ) सू० [ ६३ |-ख््री पुरुषों के सत्‌ कत्तेव्य | ( ५) उपावत्‌ कन्या का वर्णन । वर वधू के कत्तव्य । ( पृ० ४९७-७०३ ) सू० [ ६४ |--उपा के दृष्टान्त से वरवर्णिनी वधू और विद॒पी स्त्री “के कच्तेब्य | ( घू० ७०३-०५०७ )




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