यथार्थ आदर्श जीवन | Yathart Adarsh Jeevan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विडग्यन जीवन श्हट
हट 35 थम >कर पर कल >
उच्नव हो रही है। दुनियाके पर्देदर इसने जैसे जैसे काम फरके
इस समय दिखाये हैं इसका गौरच उनकी फट सदिप्णुता--एक
अलौकिक शक्ति-को है जिसके बिना फिसी मद्दान् प्रथलकी
सफलता नहीं दोती |
मदांत्मा ईसाफो झुत्युके अनस््तर, जिप समय प्रिटेनके
नामसे आजका इड्टूलेण्ड विस्याव था, इटाछीके अन्तर्मत्त रोम
देशके साप्राज्यकरा ही पश्चिमक्री ओर दौरदौरा था। उक्त
देशका एक वीर सेनापतवि जिसका नाम जुलियस सीजर था
फास आदि भौर और देशोंको विजय करता हुआ नौका समूद-
पर घढ़कर त्रिटेतमें पहुंचा और/इन देशोंपर उसतेअपना सिक्का
ऐसा जमाया कि संसारमें रोम देशकी द्वी तूतो बोलने ऊगी
और पश्चिममें प्राय औौर राज्य छुप्तपप्राय द्वो गये थे। उस
चीर सेनापतिकी फीत्ति पिपासा इसनी चड़ी छि स्पेन आदि
देशोंपर भी उससे अपना अधिक्रार जमाया। यद धिद्धान्व है
कि जिस देशका साम्राज्य पौलवा है उसो देशका धर्म प्रधान-
झपसे शासित जनतामें स्थान पाता है. और इसीका माम घार्मिक
क्रान्ति है।. एवं तदतु लार ही रोमन कौंयोलिक सूर्चिपूजक धर्म,
जिसमे रोम देशमें पृण या प्रयार पाया था, इस विज्वित सलारमें
व्यापन हुआ। अय क्या था? जब तो इसी चर्मकी मदिमा
सर्वत्र दिखाई देने छपी कौर पाश्वात्य मवया विजित सखार
इसी घर्मसे दी क्षेत्र हुमा। इसका प्साव राजा ओर प्रजा दोनोंपर-
पडा | इस धईफे विधाता पोप छोग अपना प्रसांव पीलाने छगे
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