हिन्दी विश्वकोष | Hindi Vishav Kosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
874
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वाकुंतत-मेकि पाररिष्य
हुथ, श्वास; कुष्ठ, मेह,. इधर और छमिताशक 1
; फछ--पित्तवेद्धोंक, कटु, कुछ, कफ झौर “चायुनाशक,
फेंणका 'द्वितकर, छामि, भ्यांस, कास, शोथ, आम और
पाण्डुनिवारक् | ( मावप्र० )
बाकुल ( सं० क्लो० ) चकुलस्पेदमिति घकुल ( तल्येदम | पा
११२० ) इत्यण् | चफुल पल *
धाकोंधावा_( सं० क्ली० ) फ्रथोपकथन, वातच्रीत
चाकोबांफय ( सं० क्लो० ) १' परस्पर कथांपकथन, वात
चीत | ( 01010१7९ ) २ परस्पर तक । ३ तकीबिधा।
छान्दोग्योपनिषदुर्मे नारदने सनत्कुमारोंसे अपनो जिन
जिन विद्याओंके ज्ञाता द्वोनेको बात कही थी, उनमें
'वाकोयाण्य' विधा भो थी।
पाकलद (सं० पु० ) वाच्ा कलद्ः ।
धबातका रूमहा ।
याका (सं० स्रो०) घरकफे अनुसाए पक्र प्रकारका
पक्षी! म
: च्ाक्कीर ( सं० पु० ) यानि, कौतुक बाषपे कौर शुक्रग्रिय-
त्वात् । श्यालक, साला।._ है
बापफेलि ( सं० स््री० ) चाचा केलि।। धाफ्प हांरा फेलि,
बातकी क्रीड़ा। ,
घाषकेली ( सं० सत्नो ०,) वाककेश्षि देसे । *
घाकचक्षुस् ( सं० क्ली० ) धाक्य शरीर चक्षु ।
धाप्यचपल ( सं० पु० ) घाचा चपलछः)। १ बहुत बातें
करनेबाला, बातें करनेपरें तेज, मुंहजोर। २ भड्ड-
'भड़िया। , ५
चाकूछछ ( सं० छ्लो० ) याचा छलम्। न्याथशाखके अन्नु-
सार एफ छल | यह तोन प्रकारका द्वीता है,--धाकूछल,
सामान्य छल भौर उपचार छल | ज्ञव चक्ताके साधारण
_रूपसे के हुए कथनमें दुसरे पक्ष द्वारा अम्रित्र त अर्थसे
अन्य जर्थफी पस्पना उसे फेचलछ चक्वरमें -डालनेके लिये
की जाती हैं, तद घाकछछ कद्दा जाता है। जैसे यक्ताने
/ फह्दा.--“यद बालक नप कंबल है” झर्धात् नये कंवछ
बाला हैं। इसका भतिवादी यदि यद्द अर्थ छगाये, कि
'इस बालक पास संप्यागें नौ कंबल हैं, और फद्दे--!नौ
'पंवल छा हैं, पक ही,नो है।” तो यह घाकूछछ द्वोगा ।
छ्न शब्द देखा।
चांषप द्वास कछद,
एण, डेड्धा, 7
श्प
इसका | वाकछलांधरित ( सं० त्ि० ) जो दर बातमें छलकी वात
करते हैं ।
बाकत्वच ( सं० छवो० ) घाष्य और त्वक्।
बाक्त्विप् (सं» को०) वाड्माघुण, चाफ्यका तेज ।
चाक पड (सं० ल्ि०) बाचा पहु। वाककुशल, बाखी, वात
करनेमें चतुर |
चाकपढुता (सं० खत्री०) वाकपठु-भांवे तल दापू। चाकूपडु-
का भाव या घम, वाकपदुस्व ।
चाकपति (सं० पु० ) घाचां पतिः1 १ बृद्स्पति। २
विष्णु । ३ अनवद्य घचन, पडु घाफ्य, निर्दोष धात 1
वाक्पतिराज्ञ ( सं० पु० ) १ प्रसिद्ध फवि दृपदेयके पुत्र |
पे राजा यशोवर्माके आश्रित थे । इन्द्रोने प्राृतमें गौड़यदी
( गौड़बघ ) नामक काव्यकी रचना की है। ये भवभूतिफे
समसामयिक थे। ३६माल्यक्रा एफ परमार राजा जो
सीयकका पुत्र था। इस नामका एक और राजा
हुआ है ।
घाकपतीय ( सं० क्ली० ) घाकपति-पविरखित प्रन्ध | ( तैत्ति०
ब्रा० २७३१ )
चाकपत्य ( सं० छी० ) घाकपतित्व ॥ ( काठक ३७२ )
चाकपथ (सं० लि०) चाफ्यकथनोपयोगी, धात फहनैके
उपयुक्त 1
चाकूपा ( सं० त्वि० ) वाकूपदु। ( ऐकरेय्रा० २२७)
चाकपारुष्य ( सं० छी० ) वांचा कृत॑ पासुष्ये। अधप्रिय
चाक्योच्चारण, वाफ्यक्री क्ठोरता। यह सात प्रकारके
ब्यसनोंके अन्तगत धक व्यसन है।
इसके लक्षण--
“देशजाविदुननादीनामाकोरन्यप्संयुतम् 1
यद्दचः प्रेतियूज्ञार्थ बाक पारुथ्यं तदुच्यते ॥०
लग “ ( बाशवल्थय )
'देशादीनां माक्रोशन्यकूस' युत्त, उच्चैमपिणं आकोदः
* ब्यद्रमवर्धा तड़भययुक्त' यत्यतिकूलार्थ' उद्दे गजननार्थ'
चाषयं तदु॒वाकपादप्यं क्थ्यते।! ( मिताक्षारा )
_ देश, ज्ञाति और कुछशोछादिका इस्टेज करके जो
निरदनोय वाक्य प्रयोग किया जाता है, उसे चाफपारध्य
बद्ते हैं। जिसे ज्ञो चाक्य प्रयोग करना उचित नहीं,
उस चाषयफे प्रयोग करनेसे घाकूप!स्ष्य होता है | प्रचलित
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