गौरी नागरी कोष | Gauri Nagari Kosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
566
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चल
गोरी 'क्रौष- १३-18
ञ्ज्ञु
अजश ) प्रा० (अयश-सं .) अपजस, वद-
अज़स ) नामी; गविय:, तीडश.कापंवांगा-
,अजय---सं० हार, शकिस्त; 'ललाए-
अज़ा--सं« बकरो; 81०0-8०
अजोग्य
अजान--हिं० अज्ञान, सौधा, ना वाकिफ़;
1. वेहगाणायां। थेए.ए,
अज्ञायच--अर० अच भित, नया; एणाते०ःड,
८९७७०» ६४०५. (भ्रज्ायब गो ग्रायवकन
बिल्कुल नया, एणाते९०5.)
अजित | भा किसे से जीता न जाय वा
अजीत | सबको जीतने वाला; प6णा-
पृष्ण्यह, गाधं)।ं06.
अजी--दि० महामय, साहव, जनाव;
)30., 88.
अज्ीज्ञ-अर* प्यारा; १९४५, केश,
'१%९०४९तै,
अजीटन--अंग* पलटन में एक ओचहरेदारः
- 0णशपफ़रीणा तर ते प्रधणां,
अज्ञीय--अर ० नया, अचंभित; शणातवेद-
1111 (अजीव ओ ग़रोबन-
विल्ल कुल नया, महणांशांग्ट-)
अज्ञीण--सं* कुपच, बदछ्तामी; 1701/83-
+107, ४
अज्लूरह--फ़ा* किराया, मज़दूरो; 177०,
४8४०७ (अज्रह दार”-कुली, ० 18-
9०प०९०.) ल्
अज़ोग ) प्रा (अयोग्य-सं.) योग्य नहों;
) 101770.9९7, प्रा/९०णांगए५
का,
अज्ञ--सं ० अजान, गन समभ हुएणशाई.,
अज्ञात--सं» मुख, अनजान; प्शोप्राणाय-
अज्ञान सं० ) मूखता, नावाक्षृफ्ियत,
अशानपन प्रा») जचालत; 32701९8-
अक्ञानी-सं० मूर्ख, वेसमझ, बेवकूफ,
जाहइिल; 87 शघ६-
अश्वलू--सं- पन्ना, आंचल, ओड़नी का
किनारा; ४४), 17788.
अज्चन-->० काजल, सुर॒मा; 8 ००) ए४एफ,
(अच्छन सार++आंखों में सरमा, ००-
10 ४४111) के|
अज्जनी-सं० हनुमान जी की माता का
नाम; ६10 7701067 ० सतयागरद्या,
अझली--सं० पस्सो, खोंच; ४1७ दा
ग्िय्रार्व॑ छछ फएणागहु 16 गाशातेड
1080९
अटक 1हछि० रीक, आड़, सुमानियत;
अटकाव ) म्रशविशधा००, 008%101९,
अटक--चि ० सिंधु नदी, दरया अटक; 0४९
71९0४ गतेपर8,
अटकमा-चि रुकना३ 1० 08 #०फ०वे,
अट्कलू-चि० अनुमान, कूत, अंदाज़ा;
ह705५, 0०7[९०ा०.
अटकलपच्चू--हिं० अटकल से, वे सोचे;
ए४ए हुए१5७, पंपिणा ह7णपपं3, #तो|
मा ॥धापेणा
अटका--हि० पके हुए चावलों की हांडी
(जगन्ताथ का चढ़ावा); ग़शा6 ० 016 .
ए० गए जंग संठपर्ुड घए8 वेः885०१
का. बेगडुध्णाक्ष- (अटकादियात-
रोकदिया, ४००७०)
अटकाना--चिं० रीकना; 1० शंणृ॥ ४०
फ्ंपवेधा, 0 [2एशाएई-
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