गौरी नागरी कोष | Gauri Nagari Kosh

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Gauri Nagari Kosh by पण्डित गौरीदत्त - Pandit Gauridatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चल गोरी 'क्रौष- १३-18 ञ्ज्ञु अजश ) प्रा० (अयश-सं .) अपजस, वद- अज़स ) नामी; गविय:, तीडश.कापंवांगा- ,अजय---सं० हार, शकिस्त; 'ललाए- अज़ा--सं« बकरो; 81०0-8० अजोग्य अजान--हिं० अज्ञान, सौधा, ना वाकिफ़; 1. वेहगाणायां। थेए.ए, अज्ञायच--अर० अच भित, नया; एणाते०ःड, ८९७७०» ६४०५. (भ्रज्ायब गो ग्रायवकन बिल्कुल नया, एणाते९०5.) अजित | भा किसे से जीता न जाय वा अजीत | सबको जीतने वाला; प6णा- पृष्ण्यह, गाधं)।ं06. अजी--दि० महामय, साहव, जनाव; )30., 88. अज्ीज्ञ-अर* प्यारा; १९४५, केश, '१%९०४९तै, अजीटन--अंग* पलटन में एक ओचहरेदारः - 0णशपफ़रीणा तर ते प्रधणां, अज्ञीय--अर ० नया, अचंभित; शणातवेद- 1111 (अजीव ओ ग़रोबन- विल्ल कुल नया, महणांशांग्ट-) अज्ञीण--सं* कुपच, बदछ्तामी; 1701/83- +107, ४ अज्लूरह--फ़ा* किराया, मज़दूरो; 177०, ४8४०७ (अज्रह दार”-कुली, ० 18- 9०प०९०.) ल्‍ अज़ोग ) प्रा (अयोग्य-सं.) योग्य नहों; ) 101770.9९7, प्रा/९०णांगए५ का, अज्ञ--सं ० अजान, गन समभ हुएणशाई., अज्ञात--सं» मुख, अनजान; प्शोप्राणाय- अज्ञान सं० ) मूखता, नावाक्षृफ्ियत, अशानपन प्रा») जचालत; 32701९8- अक्ञानी-सं० मूर्ख, वेसमझ, बेवकूफ, जाहइिल; 87 शघ६- अश्वलू--सं- पन्ना, आंचल, ओड़नी का किनारा; ४४), 17788. अज्चन-->० काजल, सुर॒मा; 8 ००) ए४एफ, (अच्छन सार++आंखों में सरमा, ००- 10 ४४111) के| अज्जनी-सं० हनुमान जी की माता का नाम; ६10 7701067 ० सतयागरद्या, अझली--सं० पस्सो, खोंच; ४1७ दा ग्िय्रार्व॑ छछ फएणागहु 16 गाशातेड 1080९ अटक 1हछि० रीक, आड़, सुमानियत; अटकाव ) म्रशविशधा००, 008%101९, अटक--चि ० सिंधु नदी, दरया अटक; 0४९ 71९0४ गतेपर8, अटकमा-चि रुकना३ 1० 08 #०फ०वे, अट्कलू-चि० अनुमान, कूत, अंदाज़ा; ह705५, 0०7[९०ा०. अटकलपच्चू--हिं० अटकल से, वे सोचे; ए४ए हुए१5७, पंपिणा ह7णपपं3, #तो| मा ॥धापेणा अटका--हि० पके हुए चावलों की हांडी (जगन्ताथ का चढ़ावा); ग़शा6 ० 016 . ए० गए जंग संठपर्ुड घए8 वेः885०१ का. बेगडुध्णाक्ष- (अटकादियात- रोकदिया, ४००७०) अटकाना--चिं० रीकना; 1० शंणृ॥ ४० फ्ंपवेधा, 0 [2एशाएई-




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