मानस - मकरन्द | Manas - Makarand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तुलसीदास जी का सक्षिप्त जीवन छृत्त 11
छोटे ग्रन्थ
पाव॑ती-मयल यरबे रामायण
जानऊी-मगल चैराग्य-सदीपनी
रामछटा नदठू कृष्ण गीतारली
गोस्थासी जा के अन्यों में मुट्य और परम भ्रसिद्ध अन्य रामचरित
मानस है । इसको कथा जितनी सरस और हृदय पर प्रमाव डालनेयाली
है, उतना ही इसकी कविता भी मनोहारिणी है । इसमें स्थान
स्थान पर अनेह प्िपर्यों का उल्लेस है, यथपति उसकी मुरय
कथा भीरामचन्द्र की जीवमी है। मानस में सप्त सोपान हे--प्रथम
सोपान घालकांड, द्वितीय सोपान-अयोध्या कांड, तृतीय सोपन-आरण्य
काण्ड, चतुर्थ सोपान-किप्किधा काण्ड, पंचम सोपान-सुन्दर काण्ड,
पह सोपान-हका काण्ड भौर सप्तम सोपान-उत्तर काण्ड । किसी
फ़िसी सस्करण में प्रकाशकों ने 'लवकुश काण्ड नामकों एक अ्ष्टम
सोपान भी मिला दिया है । इसी भ्रकार क्षेपक्रलारों ने भी मनमानी
लीटाएँ की ह | यद्द काम सर्वथा निन्द्नीय है ओर ऐसे सस्करणों को
कमी अधानता नहीं देनी चाहिए । कुछ टीहाझारों मे भी मसनमाने परि
बत्तेन कर जय में अवर्थ क्या है । सौभाग्य ही से भर कुछ सुन्दर भर
झुद्ध सस्करण प्रकाशित हुए हैं | उनमें काशी नागरी प्रचारिणी सभा और
चेलवेडियर प्रेस प्रयाग के सस्करण अच्छे हैं ।
कत्रिउ 7 चूडामणि गोर्रामी जी के ग्रन्थों में रामचरित मानस वा
जितना आधिपत्य आय्य घशजों और नागरी भापियों के हृदय पर हे,
उतना आधिपत्य अन्य किसी देश के किसी अन्य का नहीं है।
उसकी कप्रिता तो मनाहारिणी हे ही, नन््य अन्यों की कविता
भी कम सरस नहां। आपकी पीयूष वर्षिणी कविता के विचार से हिन्दी
के सुधसिद्ध कयियो में आपका पद बहुत ऊँचा हे । वर्ण-श्ञान रेखनेवालों
से लेकर परम विद्वान् तक निज सामथ्ये के मनुसार गोस्पामी जी की कपिता
सानप
बबिता
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