मैं भूल न सकू | Main Bhul Na Saku
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)में भूल न सक
महल ध्वीर अज्ञु न' के सम्पादक 'धीयुत
जयन्त जी फी आश्या है कि में अपने जीवन की फोई ऐसी बात
लिख दू जिसे में अग्तक भूल न सका होऊ । परन्तु यदि यही
चात होती तो उसका लिख देना उतता फठिन न था | में एक
पक्ति में लिस देता कि जब में सात यर्प का था तथ मैं अपने
साथियों से गया क्री कसमो खाना सीख गया था । एक दिन
मैने अपनी मा के सामने “गया फी कूसम कद दी । सत्तय
एक तमाया लगा और साथ ही यह डांट कि फिर कमी फोई
कसम साई तो ठोक तरद्द दुरुस्त कर दू गी । श्रोर आज तक
मुझे बढ़ समाचा याद है, क्याँकि मेने फिर कमी कोई कसम
नहीं पाई । चस, इतना लिप फर चुट्टी पा जाता। परन्तु नहीं,
इतनी ही वात पहीं है । उस बात की झाड में भ्ली जयन्त जी
कुछ और चादने दे । थे चादते दें कि वद याद भो मार की
दो, साथ द्वी बद्द लिखी भी पेसे दग से जाय कि उसमें “रसा
प्ल्ल्द [ *६ )
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