छुटकारा | Chhutakara

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Chhutakara by ममता कालिया - Mamta Kalia

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वे तीन और वह | २३ में उसे कभी नींद नहीं आयी । वल्कि वह फिर और भी देर तक जागता रहा है और प्रयाग के सुर्राट सुनता रहा है। कि प्रयाग खुर्रादे लेता है, यह उसकी इन्ही दिनो की खोज थी | जब उसने सुबह प्रयाग को बताया था, प्रयाग बेहद झेंप गया था। उसने हकलाते हुए कहा था, (देखिए आपको ध्रम'*” ओर दूसरे ने उतके कम्घे पर हाथ मारते हुए कहा था, “जाने दो यार, इसने कोन तुम्हारे तकिये के नीचे वात्स्पायन ग्रर्य ढूंढ लिया ! सवेरे प्रयाग की बहन आयी, अपने साथ डबल रोटो और मक्‍यन लकर | दूधरे ने तमिक उत्साहित होते हुए कहा कि वह चाय बना लाये तो सब लोग इक्ट्र नाश्ता कर सकते हैं । बहन ने त्योरियों के साथ कहा कि उसे नाएते-वाश्ते में कोई रुचि न्रढ़ी है और क्या वह छुत्रह के समय इसी भद्दी पोशाक में रहता है ! पहले को खुशी हुई कि वह आज जल्‍दी नहा लिया था और घोवी ने इस वार पतलून बहुत साफ घोयो थी । उसने कहा, “चाय में बना लेता है, यह तब तक नहा लेगा । | जब महाकर आया, उसने देखा, उसकी कमीज से एक बटन गागयद है। उसने कुछ देर सोचा, फिर वहू आलमारी से एक पुराना ब्लेड निकाल लाया । उसने झांककर देखा, पहला अभी रसोई में ही था दूसरे ने दरवाजे के पीछे कील पर टंगी पहले की कमोज में अन्तिम बटन सावधानी से काट लिया और अलमारी मे सुई ढूंढने लगा ।? | पहले ने चाय के ग्लास मेज पर लगा दिये । बहन ने उसकी मोर डबलरोटी-मवखन बढ़ाकर कहा, खाओ !! पहला सकछुचा गया, “नही, मैं नाश्ते का आदी नहीं । आपके लिए. टोस्ट बना हूं ?” नही 1 प्रयाग की वहत ने चाय एक धूंट पी कर रख दी थी |




User Reviews

  • Rizwan Ansari

    at 2021-06-22 12:24:07
    Rated : 5 out of 10 stars.
    "बागी किताबे बहुत अच्छी लग रही हैं परंतु कहानियों की किताबों की कुछ कमी है यहां आपसे अनुरोध है की हिंदी कहानियों की पुस्तकें ज्यादा से ज्यादा अपलोड करें। "
    आपसे निवेदन है की ममता कालिया के और कहानी संग्रह भी अपलोड करें
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