त्रिषष्ठिस्मृतिशास्त्रम् | Trishashthismritishastram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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7 फ्िषष्टिस्मातिशातम 1... [१३] राजातिम॒श्रो पांर्मोद्धी व्याघधो देवो [दिवाकरः । मन्त्री मतिवरो5्घो5हमिन्द्रों योअभूत्सुवाहुक/ ॥२४॥ विराद सर्वाथेसिद्ध॥ स जायाद्धरतः पुरोए। _# आद्यः पुत्रोजथ चक्रभृत्पोडशो हि मन्ुमेहान्‌ ॥२५॥ अतियृप्रराजा, नारकी जीव, वाघ, देव, मतिवरमन्त्री, अह- मिन्द्र, सुबाहु, वज्सेन तीर्थिकराचा पुत्र वरूत्तराज, स्वार्या्िद्धि स्वगौतील देव आदि भव घेऊन भरत झालेला प्रथम तीर्थकराचा प्रथम पुत्र चक्रवर्ती, सोकावा मनु ( देश विरति व लोकव्यवहारोपदेशक या अर्थाने ) जयशाली होवो, यो मनन्‍्त्री वत्सकावल्यां प्रीतिवद्धनभ्प्तेः । प्रभाकरीपुरीहोदक्कुरुना कनकर्प्रंग! ॥ २६ ॥ आनन्दो<5धघो5हमिन्द्रो5धन्पहावाहुरलुत्तरे । सुरअ्थान्त्ये स पुरुतुकायों वाहुवलीज्यैताम ॥ २७ ॥ बत्सकावती देशाताील प्रभाकरी नगरीच्या प्रीतिवर्घन राजाचा मंत्री व उत्तर कुरुमोगभूमीतील आर्य कनकंग्रम नामक वैमानिक १ धर्माया हिल भवो घार्मा नाक: २ विशेष्ट राजा वद्रसेन तीर्थकरपुजः रेनगयो ४ भूमी ना पुमान्‌ ५ काचनविमानेश ६ सर्वो्थ- सिद्धी, ७ पूज्यता शिवार्थीभिः




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