सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् | Shabhashya Tattvarthadhigam Sutram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रायचन्द्रजेनशाखमाला.
जा आई 2“ * ५
श्रीमत्-उमास्वातिविरचित
सभाप्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम ।
हिठीभाषानुवाठ्सहितम्
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सम्पाधफारिका
सम्पग्दर्शनश॒द्ध यो ज्ञान विरतिमेय चामोति ।
दुःखनिमित्तमपीठ तेन सुलब्ध भवति जन्म ॥ १॥
जन्मनि फ्मेछेशरलुवद्धेडस्मिस्तथा प्रयतितव्यम् ।
कर्मक्रेशाभायों यथा भवत्येप परमायें; ॥ २ ॥
परमाथौलामे वा दोपेप्वारम्भफखभावेषु ।
कुशलालुवन्धमेव स्थाठनयथ्र यथा कम || ३े ॥
कमोहितमिह चासुत्र चाधमतमो नरः समारभते |
इंह फलमे्र लधमो विमध्यमस्तृभयफलार्वम्॥ ४ ॥
परलोफहितायेव प्रवततते मध्यमः क्रियास सदा ।
मोक्षायेव हु घटते विशिष्टमतिरुचमः पुरुष ॥ ५ ॥
यस्तु क्ृतार्थोउप्युत्ममयाष्य धर्म परेम्य उपदिशति |
नित्य स उत्तमेभ्यो5प्युत्तम इति पूज्यतम एवं ॥ ६॥
तस्मादर्टति पूजामहन्ेवोत्मोच्मो छोके ।
देवर्पिनरेन्द्रेभ्यः पूज्येभ्यो5प्यन्यसच्वानाम ॥ ७ ॥।
अभ्यचेनाददता मन/मसादस्ततः समाधिश्र ।
तस्मादपि निःश्रेयसमतों हि तत्पूजन न्यास्यग्रू ॥ ८ ॥
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