प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई | Pradhanamantri Morar Jee Desai
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२५
महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल तथा अन्य कांग्रेस कार्यंसमिति के सभी
सदस्यों को गिरफ्तार करके अहमदनगर के किले में बन्द कर दिया मया।
कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ता गुप्त रूप से कार्य में लूगे रहे । दिन-प्र तिदिन नेताओं
की गिरफ्तारी के विदद्ध क्रोष, घृणा और प्रतिहिसा की भावता उत्पन्त हो
गई। टेलीफोन काट दिए गये । समाचारूपत्नों पर भारी परावंदियाँ थोप दी
गईं । राष्ट्रीय पत्नों का प्रकाशन वन््द कर दिया गया ।
सरकार ने सारी परिस्थिति को वछ के प्रयोग से काबू करने बी सोची |
अश्रु-गेस, छाठी चार्ज की अपेक्षा गोडी चछाना एक साधारण बात हो गई।
“भारत छोड़ो' नारा देश के कोने-कोने में गूंजने छगा । जनता इतनी उप्र हो
गई कि उन्होंने रेखदे की छाइन उखाड़ दी, तार काट दिये, सरकारी इमारतों
को आग रूगाना आरम्भ कर दिया | बह समझते थे कि बहरे अंग्रेज को सुनाने
के लिए, इन कार्यो का सहारा लेना अनिवार्य है, तभी वह भारत छोड़ते को
तत्पर हंगि । पुलिस ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए भयंकर अत्याचार
किये, लेकिन जनता ने साहस नहीं छोड़ा । विद्याथियों ने इसमें बड़ी चीरता
का प्रदर्शन किया | स्कूछ और कालेज छोड़कर इस युद्ध का मार्म-दर्शन किया ।
सरकार के सारे प्रयत्व विफल रहे। भारत रक्षा नियमों के अधीन लोगों को
प्रकड़ कर जेलों में दस दिया गया । सारे देश में एक छाख से अधिक बन्दी
बनाए गये ।
मोरारजी इस आन्दोलन में वल््लभ भाई का दाहिना हाथ बन गये । उन्होंने
गुप्त-हूप में गुजरात में इस आन्दोलन का सन्देश धर-घर पहुँचाने में एड्री-चोटी
का जोर कऊगा दिया । गुजरात में प्रतिदिन कोई-न-कोई मोर्चा अवश्य छूगता ।
अतः अगस्त १६४२ में मोरारजी को तोन वर्ष का कड़ा दण्ड दिया गया।
इस आन्दोऊन में सभी देशी राज्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिमा । सरकार
का शासन-कार्य ठप्प हो गया | तीव मास तक यह आन्दोलन अत्यन्त भयंकरता
से चलता रहा। सरकार ने इस प्रवक आग को जितना दवाना चाहा, बहू
उतनी ही प्रज्ज्वल्ति होती रही। आखिर यह राष्ट्रीय आन्दोलन भारत के
इतिहात में एक कीति-स्तम्भ बन गया 1
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