वेदभारती | Vedabharati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ब्राह्मण ] [ १३
इन को रचना चाहे जब और चाहे जिस आधार पर की गई हो,
इन की मूल सामग्री का सीवा सहितावाल से सम्बध्घ है ।
ब्राह्मणों की सस्या ओर नाम
3 प्रत्येक वेद के अपने अपने एक वा अ्रधिक बाह्मण हे ।
ऋग्वेद के ऐनरेय कौपीतकि और शाखायन ब्राह्मण यजुर्वेद के
- शन्पथ और तेतिरोय ब्राह्मण, सामवेद के ताण्ड्य महात्राह्मण
(>्पर्चावश ब्राह्मण ), मत, आर्पेय, सामवियान, सहितोपनिपद्
देवन, पड्पिश, वश जेमिनीय और जमिनीयोपपिद बुाह्मण तथा
प्रथर्ववेद का गोपथ ब्राह्मण मिलते हैं । इन म तेत्तिरीय और ज॑मि-
गीय इन नाभो की शाखा्रो के ब्राह्मण है। जेमिनीयोपनिपद् जेमि
गीय ब्राह्मण का ही ग्रग हे । इसी प्रकार मत्र ब्राह्मण झ्रादि भी
केसी समय पचविश ब्राह्मण के श्रग रहे हो सकते हैं ।
ब्राह्मणों के प्िपय
४ ब्राह्मणों मे अपनी अपनी सहिताश्रों श्ौर श्वाखाओं
1 सम्बबत क्रिप्राक्लाप का सक्लन उन की प्रामाशिक्ता का
ववचन और उन के मूल भाव या प्रतीक श्रादि का कथन मिलते
'। इन म वशित क़ियाए बटी जटिल है और विशेषज्ञ के गिना
धर्मागवित नहीं की जा सकती + कुछ का तो सभार भी सामाय्य
ुप्य जुटाने मअसम्थं रहगा | कुछ निनान्त अबव्यवहार्य
र प्रतीक्रमात्र हो मालूम पटने ह। शेप मे भी कुछ क्रियाएं
तप्रयाज्य प्रवीत हांती है । प्रताक की हष्टि सेये सब शिष्ट और
गद्य हो जाते है ।
ब्राह्मणों के आरयान
४ ब्राह्मजा म न्वन-स्यल पर बहत से सरव, सक्षिप्त
प्रौर रोचक आरयान भी मिलते हैं। इन से ही आगे चल कर
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