फ़ेन्स के इधर और उधर | Fens Ke Idhar Aur Udhar

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Fens Ke Idhar Aur Udhar by ज्ञानरंजन - Gyanaranjan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दिवास्वप्नी । २५ घड़क पर छोग घूमते हुए नही दिखाई दे रहे थे | घोडी देर पहले चत्तियाँ जली थी । एक स्पाह छाया डामरी जमीन पर चलते हुए दारीर से आगे बढती थी, फिर छपुत्तर होते-होते पीछे चछी जाती थी । दो लूम्प-पोस्ट के बीच का सुना दृष्य | इल्दो से किसी से डेजी के घर वा पता पूछने की सोची । पर वह किसी से बया पूछे ? डजी के बहुत से नाम हैं और वह्‌ कोई भी नाम नहीं जानता 1 डेजी तो उसका निर्मित सम्बोधन है । बिजली के खम्मे वे! नीचे से गुजरती पैरेम्बुलटर को ढकेखने वाले नौकर से इन्दो मे पूछा । वह नही जानता । अपने घाहव के साथ वह बाहर से भाया था । छेकिन उसने बताया कि पीछे रामछाल आ रहा है वह यही का थाशिदा है, वह बता सकेगा। रामछाल आ गया तो इदो ने उससे पूछा | रामलाल ने घूरते हुए कहा, “बायू जी छगदा है आप बाहर से आए हैं। आप बहुत सीबे-सादे लगते हैं । यहां जरा संभल कर रहिए | उसके चक्कर में आप कहाँ पड़ गए। वह वडों आवारा और जालिम छडकी है। शिकार करना ही उसका वाम है। आप “तुम द्यायद गलत प्मझ रहे हो | मैं तो उस छ्वकी की बांत॑ कर रहा हैं जो गोल्फप्राउण्ड और क्लब णज॑त्तो है। वह यही वही रहती है और बड़ी अच्छी खूबंसूरत लंडकी है । इस यार रामछाल हँसता हुआ बोला, सार्व, आप मेरी बात॑ नही मानेंगे तो जाइए 1 वो पीले गिराज के बीजू भे आजकछ रोज शाम को एक मोटर बाती है। पाली और खुछी हुई। उसके पत्छी तरफ ही एक बडे हाछ मे चह 'रहती है । हरामजादी प्राइवेट काम कराती है 1” हैमी एक कन॑वर्टेविड गाडी इदो के सामने से निकल गई । डेजी को कोई छे जा रहा था या किसी को डजी ले जा रही थी । इस्दो अब सचमुच घबरा गया। उसने सोचा डंजी अयर उसे देखती तो जरूर सकती । लेकिन उसे अंपनें विचार पर भी विश्वास नही हों संका ।




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