फ़ेन्स के इधर और उधर | Fens Ke Idhar Aur Udhar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दिवास्वप्नी । २५
घड़क पर छोग घूमते हुए नही दिखाई दे रहे थे | घोडी देर पहले चत्तियाँ
जली थी । एक स्पाह छाया डामरी जमीन पर चलते हुए दारीर से आगे बढती
थी, फिर छपुत्तर होते-होते पीछे चछी जाती थी । दो लूम्प-पोस्ट के बीच का
सुना दृष्य |
इल्दो से किसी से डेजी के घर वा पता पूछने की सोची । पर वह किसी
से बया पूछे ? डजी के बहुत से नाम हैं और वह् कोई भी नाम नहीं जानता 1
डेजी तो उसका निर्मित सम्बोधन है ।
बिजली के खम्मे वे! नीचे से गुजरती पैरेम्बुलटर को ढकेखने वाले नौकर
से इन्दो मे पूछा । वह नही जानता । अपने घाहव के साथ वह बाहर से भाया
था । छेकिन उसने बताया कि पीछे रामछाल आ रहा है वह यही का थाशिदा
है, वह बता सकेगा। रामछाल आ गया तो इदो ने उससे पूछा | रामलाल
ने घूरते हुए कहा, “बायू जी छगदा है आप बाहर से आए हैं। आप बहुत
सीबे-सादे लगते हैं । यहां जरा संभल कर रहिए | उसके चक्कर में आप कहाँ
पड़ गए। वह वडों आवारा और जालिम छडकी है। शिकार करना ही
उसका वाम है। आप
“तुम द्यायद गलत प्मझ रहे हो | मैं तो उस छ्वकी की बांत॑ कर रहा
हैं जो गोल्फप्राउण्ड और क्लब णज॑त्तो है। वह यही वही रहती है और बड़ी
अच्छी खूबंसूरत लंडकी है ।
इस यार रामछाल हँसता हुआ बोला, सार्व, आप मेरी बात॑ नही मानेंगे
तो जाइए 1 वो पीले गिराज के बीजू भे आजकछ रोज शाम को एक मोटर
बाती है। पाली और खुछी हुई। उसके पत्छी तरफ ही एक बडे हाछ मे चह
'रहती है । हरामजादी प्राइवेट काम कराती है 1”
हैमी एक कन॑वर्टेविड गाडी इदो के सामने से निकल गई । डेजी को कोई
छे जा रहा था या किसी को डजी ले जा रही थी ।
इस्दो अब सचमुच घबरा गया। उसने सोचा डंजी अयर उसे देखती तो
जरूर सकती । लेकिन उसे अंपनें विचार पर भी विश्वास नही हों संका ।
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