सफर की कुंजी | Safar Ki Kunji

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Safar Ki Kunji by गंगाप्रसाद अग्रवाल - Gangaprasad Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कक +. # आम डर - ई रेल छूटनेसे पहिल्ते | है 5 1 3०0-५३-२७०७-०२३ ३श-०७-२७४-७-२३८-७ ड् हु यात्रापपपर आरूढ होनेसे पहिले याजीको रेल्पेका टाइम (समय)॥1 स्टेशइमपर जाकर स्टेंठ नमास्टरसे दस्याफ्त कर लेना चादिये, घटिक प्रत्येक यात्रीफो दिनदी या अग्ने जीका रलये दायम टेबिछ मगाफर पास रप छेना चाहिये जिससे मार्गमे भो गाडी ठहरने, घदुल्ने आडि का टायम देस्नेमें सुविधा ग्हे। रछये टायम टेविल प्रत्येफ स्टेशन पर फरीमत देकर मोल मिल सकता दे । ल्‍ स्टेशनपर यात्रीको रेल छूटनेपे चक्तसे आघ घटा पहिले पहुंच ज्ञाना चाहिये, ताझि पीछेदर हो जानेसे जल्दरमं भागदौड फरनेमें ऊिसी तरहकी द्वानि न उठानी पडे । स्टेशनपर पहुचक़र टिफटघरकी सिडकीसे टिकट शरीदना ध्वाहिये मगर टिकट ग्परीदते समय अपनी जय, अटी बगेरहसे साव- धान रहना चाहिये, क्योकि अक्सर स्टेशनोंपर पाफिटमार, घोर, ठग जाली मलुष्य इसी ताऊमें लगे रहते दें और मौका पानेपर मुसा- फ्रिकी ज्येय फाटकर रुपया-पेसा टेकर 'चम्पत हो जात हैं भौर घेचारा मुसाफिर अपनी जेवसे रुपये निकल जानेपर अठ्न्त दुःलो होता है. इसलिये टिकट सरोदते समय प्रत्येक मुसाफिरको उक्त बात से अवश्य सायधाव रना चाहिये।._ + टिकट छेकर उसी चक्त दे” “पे कि ठीक उसी जगहका टिकट जिस जगहका मागाहै हे क्योंकि भीडमें कक के




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