कवि श्री माला गुजराती | Kavi Shri Mala Gujarati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शछ
सुजरातकौ काम्य-सावता, साहित्पिक बृप्टि सभा श्स-इचिको सँदारनेस पाश्चारय
साहित्प-जीमांसाका जिसेय हाय है।
मभिनद प्रयोग
विश्वजियाछवकौ छिक्लासे संस्कृत फारसी शौर मेंप्रेजी साहिस्पने जर्गाचीत
पुम्शाती साहिए्पपर झपना प्रभाद जधध्य डाझा परलन््लु प्राजीन साहिस्यसे उसका
विद्वडुर विच्छेद सहीं हुमा। प्रात्रीव पदोंडा भबाह अब भी इकपतरामकी
परदियों और घोकम समदडै परदोर्मे जिमुगत (मस्त कृषि) से सकर जाज तकडे
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सोक्ष्मीनोंदी पततिक अनुसरणमें कए इपसे अविडिउप गह रहा हैं। दकूपतरामके
४ बन अरित्र ” ठबा सरभिहरराषक्क “ बुद्ध चरित्र ” में प्राचीस कबा-पदिका प्रयोग
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मम्पह्याजीक गुजराती कगा शैतीक मनुसरश है। प्रान्रोर शक्तिपरर्ण कबितादरी
अगुरपैण इकपत शाम पोकाताब मरभिहराबव स्मणघाई कास्ा न्हाताक्षात्र
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शऔर महीपठरामत अपनी बथाजोसे मर्मद्रातजिंकी रचना करके मासों कोष-कयाका
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स्यागर्त रखने हुए प्रधम बिधापकों संशार सुघार युग गत है। इस सुपक
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१८४ से गर्मरके देदाबसान (संत १८८६ ) तर बढ़ी जा साती है।इस
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झनिवाएँ बैप्रध्य समुदपारीय माजाता प्रठिबल्ध हया ऐसी ही अम्य आागाओो
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