कवि श्री माला गुजराती | Kavi Shri Mala Gujarati

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Kavi Shri Mala Gujarati by दयाराम - Dayaram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शछ सुजरातकौ काम्य-सावता, साहित्पिक बृप्टि सभा श्स-इचिको सँदारनेस पाश्चारय साहित्प-जीमांसाका जिसेय हाय है। मभिनद प्रयोग विश्वजियाछवकौ छिक्लासे संस्कृत फारसी शौर मेंप्रेजी साहिस्पने जर्गाचीत पुम्शाती साहिए्पपर झपना प्रभाद जधध्य डाझा परलन्‍्लु प्राजीन साहिस्यसे उसका विद्वडुर विच्छेद सहीं हुमा। प्रात्रीव पदोंडा भबाह अब भी इकपतरामकी परदियों और घोकम समदडै परदोर्मे जिमुगत (मस्त कृषि) से सकर जाज तकडे कडियोंहेः सजमोंगे ल्यागाक्षल और बौटाइछरके रास भौर गौतोंमें तगा मेबानीके सोक्ष्मीनोंदी पततिक अनुसरणमें कए इपसे अविडिउप गह रहा हैं। दकूपतरामके ४ बन अरित्र ” ठबा सरभिहरराषक्क “ बुद्ध चरित्र ” में प्राचीस कबा-पदिका प्रयोग हगा है। कुदि रातालाहके इरिसहिता” काम्प प्रस्थमें सम्झत पुराथ तपा मम्पह्याजीक गुजराती कगा शैतीक मनुसरश है। प्रान्रोर शक्तिपरर्ण कबितादरी अगुरपैण इकपत शाम पोकाताब मरभिहराबव स्मणघाई कास्ा न्हाताक्षात्र खबरदाए सुग्शरम्‌ प्रूजाहारू भादि कबियौंकी बविताप्रोर्मे सुनाई पहली है। भाज भी छोटम रुपिराप समारणा एंकर महाराज और हुसा काग जैस बनगेक भजतीडः गधियोंकी रचनाओरमे मध्यकालीत मक्ति बैराग्प बेदास्तकी घारा प्रवाहित हैं। परामटड़ौ। भीम परक कबिताओंं जैंसौ हो कबिताएँ दरसपतरामने खिली ई शऔर महीपठरामत अपनी बथाजोसे मर्मद्रातजिंकी रचना करके मासों कोष-कयाका प्रदाह शए युयर्मे बुछ् शमप शक्ल अफ्ते रहने देनेका प्रयध्त किया हैं। प्रारम्मिर कक बुजरातों शाटफोर्मे जबाईा दुछ प्रभाद दिखाई देता ह। संसार सुधार पुण उरपर्श् प्रमाषोंठों प्रकट करतश्ते पिछके स्पारष्ट दशकोंडे पुजाती शाहित्पकों ामाम्पत तीस भागोंमें बट सकते है। प्रेरऋ बछ तया प्रधान शत्तघांको स्यागर्त रखने हुए प्रधम बिधापकों संशार सुघार युग गत है। इस सुपक अप्रमष्य प्रभावयारी साहित्यप्रारादे सासोसे सम्दस्धित परिचय देता हो तो हम इस गर्म” यंग मपदा इठपत-मर्मर युम बढ सरते हैं। इसके समयकौ मबप्रि स्‌ १८४ से गर्मरके देदाबसान (संत १८८६ ) तर बढ़ी जा साती है।इस क्षाक्षझ्ा सशाहिए्प प्रजा जौदनमें स्याप्त स्यूति सपा जायृजिकै दावाबरणर्मे किया एया &ै। जोतिक जीवनका खुपौ शजुद्ध अतानेकी छमिक्तापा उत्पन्न बश्जेबाली गई शिशाने छूपिप्रस्तता भरय-दिएबाव निरधरता बा-दिदार जायि-दइगपन स्थिपोंरा झनिवाएँ बैप्रध्य समुदपारीय माजाता प्रठिबल्ध हया ऐसी ही अम्य आागाओो व मुजरती इ--२




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