कवि श्री माला असामिया | Kavi Shri Mala Asamiya

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Kavi Shri Mala Asamiya by रघुनाथ चौधरी - Raghunath Chaudhari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्छ परसुपमकी कथा थोपा में धास्तोशी टीका घात्वत् हस्थका अनुवाद, कृप्मानन्द डविघके पूर्ण भागदतका धछ्य-पत्य अतुबाद पद्य पुराण सामक धार्मिक जाचार्रोका संकलित इस्च बाबजौ् घर्माका नीतिप्तठांकुर सामक प्रत्द भी इसौ समय लिछा गया है। प्रामिक छऔौर साम्प्रदामिक मतबादके विभिन्‍न प्रस्वोके अतिरिक्त इस काप्तमें सम्पूर्ण डांसारिक विपर्योपर भी शप्मियामं प्रन्प रचे गए हैं। इतमें बहुत सारे पद्यमें ही हूँ कौर उनका अतुबाद भी हुआ था। बैपमिक बिपयों्मे सर्वप्रपम शसमिया ग्रद्धका व्यवह्टार इस प्रस्पोके माध्यमस हा है। इससे पहले केबल पघ्रामिक और साम्प्रदाधिक विपयोर्मे डी इसका साधारण॒तगा स्यवह्डार होता बा। काभीनाबका अंकर झार्या इस समयका उल्सेलभीम प्रन्ण हू बिप्तमे मक गथितके असाना कमीनकौी पैमाइप और बर्गफल मिकालनेके नियमोश्या उल्लेख हूं । छूभकरके “भी हस्ठमुक्तावली शामक खगुजाइ ब्रश्पमें मिनयके समय प्रशोजनमें मासेबाली हस्तमुद्राका दर्णन है, जिपमें साथ-साथ मुद्राओंका चित्र भौ दिया गया हे । मृल संस्कृत इशोकॉका उदाहरण के साप॑ अनुषाद दिपा गगा हूँ। शाहोस राज-रानौ अम्बिकदेबीके आवेशानुसार सुझुमार बरकाठने ह्त्ति गिद्यार्थंल लामक प्रश्वका प्रशयत किया। यह भी चित्रयुक्त प्रत्थ हैँ घिनका हफन दिलबर और दोछाइ तामके दो चित्रकारोने कमा बा। इसमे हाथीका बर्बतन उसके रोग और निदाल और उसको पालतू बनानेके तरीकोंका उल्लेख हे। इसमें किस प्रकारके हाथीपए किस प्रकारके जादमीको बढ़ना चाहिए, इसका सी उस्सेख है। छसमके शासकों द्वारा अप्रिक संस्यामें हाबीका रप्सोम किए आनेके कारण ही इस प्रकारके अमूस्य प्रस्पका प्रधपन उस समय हुंशा था। भोड़ेके दौय और विदातके सम्बन्ध भी “बोड़ा-निदात' सामक इम्ब लिया पया हू जिसमें भोहकि प्रकारके बारेमें भी उस्सेज्व हे। इस प्रत्थके सेखकका लबतक कोई पता नही असा है। बेपबिक विप्ोपर सिले बए कामरत्न तस्थ सामक ग्ोरखताबके सामके झाथ छोड़े हुए एक संस्कृत ग्रस्थका लनुबार सौ असमियार्में हुआ। इसमें बनस्पति और शओऔपशियोंके भारेमें उल्लेखके छाप-साव शंकर द्वारा पार्बठीको बपने बदमें रखनेके उपायों बाकर्यण स्तम्भन मार आदिका दिस्तृत बर्णद दिया गया है। हर पौरी सम्बाद' भामक्ष दाम्पत्य-जौबन पर लिखा गया प्रस्थ भी इस छुसम रचा एणगा। इस काल्में सबसे महत्वपूर्क साहित्व हुमा-- ब्‌रंजौ साहिस्प जिम्ममें झआाहोम धासनका घारादाहिक विवरण लिपिबद्ध किया गया हैं। यह इतिहास साहित्य बपमर्में पहुे पहल आहोस शासकरने ही प्राएम्स रिया बा और घुकुमें मह साहिस्य आइमोकी अपनी जपजातीब भाषामें ही शिक्षा गया था। डिक्तू बाहोमों हमए अरमिया घातीयता औौए भारतौय सनातन प्र्मे-प्रदृथ करसेके बाद यह ब॒ुरंगी साहित्प असभिया भापामें ह्वी शिक्षा छागे रूमा) यह शृरैजी साहित्य बड़ा दिस्तृत है भौर छ्ाहोमकि शसमपर हुए छात सौ बपोंके छासनका घाराबाहिक बर्भेत इसमें मिलता कु ब २-२




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