जर्मनी का विकास भाग - 2 | Jarmani Ka Vikas Bhag - 2

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Jarmani Ka Vikas Bhag - 2  by सूर्यकुमार वर्मा - Soorykumar Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ध + 0... है: में किराया भी अधिक देंना पड़ता है। प्रशिया में सावेघनिक स्वास्थ्यरक्षा विभाग की भोर से जो सरकारी सूचना प्रकाशिद होती हैं उम्रसे जाना जाता है कि आवश्यकतानुसार सजदूरों के रहने फी जगह काफी नहीं दोती । दीवा् हूडी. फूटी, कोठरियों में ऊँघेरा, पानी का उचित प्रवध नहीं, पाखाने ओर मोरियों के पानी का ठीक ठीक निक्ास नहीं, रहने के पास ही मछानों में जानवरों का बाधा जाना, इत्यादि कष्ट उन्हें भोगन पड़ते हैं। मजदूरों को अपनी मजदूरी फे दी हिसाब से सुखदाई भथवा दु खदाई मकान किराये पर छेना पडता है | हा, यह बात जरूर हैं कि अब कुछ दिनों से सजदूरी की दर छुछ बदू गई है परतु साथ ही रहन सहन का खर्च भी दिनों दिन वढता जा रहा हैं। जतएवं जो मज्- दूरी उन्हें जब मिलने लगी है, पह उनके पेद पालछनार्य द्दी पूरी नहीं होती है | अन्य वातों के सुधारने फ छिये फिर भा वे कहाँ स्रे धन छा कर छगावें ? गाँवों फो छोड कर जो मजदूर शहरों में जाते हैं, थे केंवछ एरिद्रता के वश जाते हैं, इस विषय में किसी प्रकार छा मतभेद नहीं है। जिस प्रात में आमदनी के कर की आय भ्धिद्त है, पद्द प्रात घनवान है जौर जिस प्रात भ क्षामदनी छ कर की आय कम है वही प्रात निधन है, यह तत्व स्वीकार फर छेने में भी किसी प्रकार का हज नहीं है । यदि इस सत्व को आगे रख कर प्रस्तुत विषय पर विचार किया जाय, तो _ यह घात ध्यान में जा जायगी छि जिस प्रांत में जामदनी पर फर का भार अधिक है उस प्रात में दूसरे प्रातों के छोगों को छू 1




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