योगवासिष्ठ और उनके सिद्धान्त | Yogavasishth Aur Unake Siddhant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
610
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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. विषय
१४--तामसतामसी
१५--अत्यन्ततामसी
(१२) सब जीव ब्रह्मासे उत्पन्न द्वोते हैं
(१३) सब जीवोंकी उत्पत्ति और छय एक दी
नियमसे होते हैं
(१४) संसारके सब पदार्थोंके भीतर मन है
१०--मनकी अद्भुत भ्क्तियाँ
(१ ) मन सवशक्ति-सम्पन्न है
(२ ) मनमें जगतके रचनेकी शक्ति है
(३ ) मन जगतकी रचनामें पूर्णतया स्वतन्त्र है
(४ ) प्रत्येक मनमें इस प्रकारकी शक्ति है
(५ ) जीवमें सब कुछ प्राप्त करनेकी अनन्त शक्ति है
(६ ) विषयोंका रूप हमारे चिन्तनके आधीन है
(७ ) जेसी रद जिसकी भावना वैसा ही फल
(८ ) अभ्यासका महत्त्व
(९ ) मनके हृढ़ निश्चयकी शक्ति
(१०) जसा मन वैसी गति
(११) दुःख सुख भी चित्तके आधीन हें
(१२) जीवकी परिस्थितियाँ उसके मनकी रची हुई हैं
(१३) शरीर भी मनका ही बनाया हुआ है
(१४) मानसी चिछित्सा
(अ) आधि मोर व्याधि
(आ) आधिसे व्याधिकी उत्पत्ति
( ह) आधिके क्षय होने पर व्याधि का क्षय
(ई ) मन्त्रचिकित्सा
।्खु )
ह (ऊ ) जीवनको सुखी ओर निरोग रखनेका
१५) मनके शान्त और मद्दान दोनेपर दी सब
ओर आनन्द का अनुभव द्वोता है ;.
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