श्रीगर्गसंहिता | Shri Gargasanhita

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Shri Gargasanhita by राधेमोहन पाण्डेय - Radhemohan Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रे 9) है, जिंसका इस ग्रन्थमें बहुत अच्छा वर्णन है। इसके माधुयंखण्डमें भिन्न-भिन्न गोपियोंके पूर्वजन्मोंका चमत्कारी वर्णन किया गया है। इनके अतिरिक्त भी बहुतेरी नयी-नयी कथाय कद्दी गयी हैं। यह संहिता भावुक भगवद्भक्तोंके लिए समादरकी वस्तु है। क्योंकि इसमें श्रीमद्भागवतके तत्चोंका स्पष्ट उल्लेख है । गुरुदेवके निर्देशसे इस सम्ुज्ज्वल महाग्रन्थके स्वाध्यायकी अभिलाषा जागृत होनेपर उन्हींके पुस्तकभाण्डार्से इस्तलिखित श्रीगर्गसंहिताकी पोथी पढ़ी तो हृदय गहद हो गया । इसकी ऐसी अमिट छाप हृंदयमें पेठ गयी कि इतनी लम्बी अवधिके बाद इसका पीयूषरस भावुक भक्तों तथा इस रसके रसिक महानुभावों तक पहुँचानेके लिए सेरा मन मचल उठा। तदलुसार जिनकी लीलाकथायें प्रकटित करनेकी छालसा जागी थी, उन्हीं भगवान्‌ नन्दनन्दनकी रणासे सें इस कामपर जुट पड़ा और पूरे एक वर्षके अथक परिश्रमसे यह ग्रन्थ तैयार करके आज आपसरीखे कृपालु सजनोंके समक्ष उपस्थित कर रहा हूँ | यद्यपि मैंने अपने तन-मन-धनकी वाजी लगाकर इस ग्रन्थकी स्ंथा सँवारनेकी मरपर चेष्टा की है, तथापि यदि इसमें कुंछ दूषण दिख जायें तो उन्हें आप अपनी सहज दयालुतावश क्षमा कर दें । किमधिक विक्षेषु । दर काशीधाम॑ ४ चंत्रनवरात्र-सहापव वदंवद संबत्‌ २०२८ पाण्डेय रामतेज शास्री




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