बिन्दु | Bindu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
88
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चन्दर भटनागर - Chandar Bhatnagar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सिवा मर कोट स पैंस लेने की हिम्मत कर भो कौन सकता है ? समझी ?
में वह सब क्या और केस कह रहा था? ' इस आततिम वाक्य को पिता ने
प्रत्येक शब्द पर जोर दे दे कर कहा ॥
मा का सिर थुक गया और उनकी जाया म आसू छतछला आए।
बहते कुछ न बना । वहा से उठकर भीतर कमरे मे चली गदइद। चारपाई
पर धम्म से बैठ यई । विभार प्रवाहित होने लगे-- हाथ भगवान #
इतना नंक सड॑द् था। इसको हो क्या गया है? बचपन में
आचाकारी और पढाई मे हाशियार था । वह सब क्या हो रहा है ? अब
वह बहा होगा ? किस दोस्त के यहा गया होगा ? बया कर रहा होगा *”
रह रहकर मा का मन उद्वेलित हो उठता और रवत प्रवाह को अधिक
कर देवा । मा अपने बिस्तर पर बंठी, ठुड्डी अपन घुटनों पर रखें दोना
बाहा से ठाग्रो बी जकड़े जा रही थी। न तो पेट जाये को बाहर फेंक्ते
बनता था और न इन बुरी आदतों में पड़े मनोज बो घर मे रखते बनता
था।
जब व्य।क्त का वश नही चलता तो वह एक घायल पक्षी की भाति
छटपदाता है । जिस प्रकार वह पक्षी अपने पल्लो को इधर-उधर पटकता
है और बराहता है, ठीफ इसी दशा मे मनोज की मा ने अपनी बाहा को
बिस्तर पर इधर उधर पटका और सहार के लिए चारो ओर ताकन
लगी | पर निराशा-निराशा । शूय शूय। कमरे के भीतर, आसपास कोई
नहीं था । मा न सन हों सत बाह फला दी और प्राथना की---/भगवात् |
कृपा करो । मेरे मनोज को जहा कही भी हो, जिस किसी भी अवस्था में
हा, उसे घर की ओर आन की प्रेरणा दो।
* अरे ' कहा हा ? सुनती हो ' सुनती हो ! कुछ खाना बाना बनाया
या नही । दोपहर वे डेढ बज रहे है । राधिका बिटिया भी सहेली वे धर
से आ गयी है। जाभो, खाना खाए ।” पत्ति ने पत्ती को काफी समय से
देया नही था, इसी कारण ऊचे स्वर में आवाज दैते हुए बुलाया !
मा, जैसे अगाध समुद्र के तले से ऊपर झटके से आयी । तव धका--
चूर चूर । मन थका--चूर चूर। चोक्कर बिस्तर से उठी। “बरे!
साढे दस बजे से मो हो बठी रह गई हू । उद्ध1” अपने आपस बाली]
+
विडस्बना. 27
User Reviews
No Reviews | Add Yours...