शिवगीता | Shivgeeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
280
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाषधिकासमेंत।... (२१)
पराजाह! ऐसे अमिमानसे कहनेवालेकों बंशसहित संहार करते
जो सम ठोझका कर्ता तथा अक्षय ऐश्वयेयान पुरुषमी ॥ १४ ॥
शिवशिवोहहमस्मीति वादिन ये व कश्नन ॥
आत्मना सह तादात्यभागिन कुरते पृशम२५
अभिभानेरहिततों जो शिव: शिवोह! इस प्रकारते कथन
करता है उसकी शिव आमलरुपके तादात्यमागी अधात
/ शिल्पी कर देते है | १९ ||
धमोयकाममोश्षाण पार यस्याथ येन वे ।
पुनयस्ततावक्ष्यामि बते पशुपतामिपम ॥रे |
हे ऋषियों | जिंत म्तके करनेते प्रागीरे धमे, जबे, काम,
मोक्ष यह चारों पदाय हस्तगत होते हैं में वह पाशुपत त्त तुम
त वन करता ॥ २६ ॥
कृत्व। तु विरां दीक्षां मतिरद्राक्षपारिणः ॥
जपन्तो पेदसारास्य शिवनामसह्सकम॥ ३७॥
विरजानामक दीक्षाकों करके 'विभति और रद्राक्षको धारणकर
बेदसारंनामक शिवंसहलनामको जप करते हुए ॥ १७ |
सत्यज्य तैन मर्त्य॑त्व शी तबुमवाप्स्यथ ॥|
ततः प्रसत्नो भगवारछकरों लोकशंकरः ॥है८।
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