चुप्पियो की पैजनी | Chuppiyon Kee Penjani

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Chuppiyon Kee Penjani by देवेन्द्र शर्मा - Devendra Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इस उजडो महफिल में फागुन का फर्ज तो निभाना ही होगा। तेरे सारे सगी गा चुके पर्दे के पीछे वे गा-गाकर चुपके से जा चुके खिल कर सव फूल विखर जाते है लोग बहुत जल्द भूल जाते हैं कोयल री क्यो उदास वैठी तू मौसम के साथ सुर मिलाना ही होगा । (14 4 82)




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