वंश भास्कर भाग - 2 | Vansh Bhaskar Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
42 MB
कुल पष्ठ :
677
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). सॉलंखीश्युथज्ञष | तृतीयराशि--तृतीयमयूख . (५२९ )
दही
स्कगाह वास करक जत्ञ, & ज्ञुत कर अपसब्धय ॥
ऋत्वज दाकखन जानु ४. मूप वरन कय मठ्य ॥ ३३ ॥
वहा १ का थमा बस्था, इम काह पथ ७ आक्षधानः ॥
भारहाज सगात्र मं, बरत तुम्दे वधिथान ॥ १४७ ॥
प्रट १ गज२ रु काशय पट ३, सप्ति 8 समार जवज्ञ ॥
दाज 'जाह बिच दाच्छ नाम बरचत वह यज्ञ ॥ १७ ॥
तत्थ बिरचन थान तुम, ख्रष्टा १ €विहु स्वा।मे ॥
इम सुनि चाठुक अथना, भाख्यो हिजहु भवीमि ॥ १६ ॥
पटपदा
उद्घाता 9 होती ३ रु तंदनु अध्वय्यु 9 बरे मुनि ॥
तदनु ब्राह्मणाच्छासणतदनु प्रस्तोता६का पाने ॥
वार नप मत्राबरुस ७ तदनु प्रातंप्रस्थाता ८ कार ॥
पोर्ता ९ प्रातिहतों १० बहोरि अच्छाबीकस ११ बरि॥ _.
नष्टाश श्गाग्नीध्रं१३४६ बारे तदनु सुत्रह्मग॒य १४ह पृथु बा रेय ॥'
बार ग्रानस्तोीता१७माने वहारे उन्नेत1१६बर णी कॉरेय ॥१७॥
१ स्फिंग (डांडी का मसल भाग) ही ९ कमल ३ दाहिने हाथ से ४ घुटन को
ऋूकर १, शुभ ५ तास ( राजा पथधु न इस प्रकार नाम. कह कर पहले सब बेदों
को जाननेच्राल प्रथम ऋत्चिज ब्रह्मा को वरा ) ७ ब्रह्मा की जगह, ८ सोना
४ रंशमा वस्त्र ११ पवन के वेग को जाननेवाले १० घोड़े .१२ यहाँ बच्या के
' स्थान पर है स्वासी तुम १३ चछ्या हाॉओआ. १४ इस प्रकार चलक्य राजा को
याचना खुन. कर १५ होगा. !६ ब्रह्मा को वर पीछे सामवेद के प्रथम ऋ-
' त्विज का १७ ऋ वेद के एसरे ऋआत्विज़ को १८ 1जस पाछ २६ यजुषद के
दूसरे ऋत्विज़ को २० सब चेंदों को जानमेवाल दूसरे ऋषत्विज को २१ सा-
मब्रेद के तीसरे ऋंत्विज को २२ ऋग्वेद के चौथे ऋत्विज को २३ यपजुचेंद के
चाये ऋत्विज, को २४ सब वेदों को जाननवाले तीसरे ऋतपिज को २७ सा-
सबद के दूसरे ऋात्वज्ञ क। *६ ऋग्वेद के त|सर ऋात्वज को २७ यजुबद के
प्रवम ऋात्यज को ९२८ सब बद्ा को जानसवबाल चाथे ऋात्वज को वर कर
जस पीछ २९ सामचेद कं-चोथ ऋफात्वज की राजा एधु ने बरा आर ३१० ऋ-
श्चंद् के प्रथम कात्यज का बर कर फिर ६११ सजुबद रे ताखर कखात्वज की
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