मूल बीजक टीका सहित | Mul Bijak Tiaka Sahit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
311.34 MB
कुल पष्ठ :
632
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ती ऐसी भूछ जग माहीं 1 संतो कहां तो को पतियाइई 1 सन्तों घरमें झगरा गरी सन्तों जागत नींद न कीजे सन्तो देख जग बौराना सन्तों पांडे निपुण कसाइ सन्तो वोठे ते जग मारे सन्तो भक्त सतोायुर आनी सन्तों मते मातु जन रज्ञी सनतो राह ठुनें। दम दीठा . है संसारी समय विचारी । संशय सब जग खण्डिया | संराय सावज शरीरम साखी . 1 स्वग पताठकें बीचमें शक श की [न मे मा भर + नर्स समर ऊना उन पसूसुकाडुटदनेिसड किक मा अ लिनककिककककय | हद चढ़ें सो मानवा ह हमतो सबकी कड़ी | हमर कहठक नाहे पातियार | हरणाकुददा रावण गा कसा हरजन हस दशा [छिय डाले ह| हरि ठग ठगत ठगौरी लाई | हरि ठग ठगत सकल जग ढोल हारे बिल भरम बिगुचाने गन्दा 1 हरि हारा जन जॉहरी | हहमा हाय हायम सब जग जाइ | हम तो उखा तिहुलोक्सें का हा हाड जरे जस छाकडी 1 हाथ कटोरा खोवा भरा हद || हिलगी भाठ दारीरमें _ _. हीराकी ओवरी नहीं हीरा तहां न खाठिय | हारा परा बजारमे 1 गरा साइ सयाहंय॑ विषय १९५ ) 1 हरि मौर पिउ में रामकी बहुरिया ज्ञानचातासा साखी ८५ . साखी १७२ का कि पी . ० का कप 7काधपगया स्तर तक दि ही ई के हा दाद ालदाबाग कवादारातनतरदुसाासाधिदवतासामाणदाकपथतादलादपासामारण दरारनतारजाउाएतामदामारं न मठ बीजकका सूचीपत्र । (११३) अड्कू ... विषय हे राब्दू ४ य्ग् है कोइ गुरुज्ञानी है बिगंशायल ओरका साखी २४१ ट्दो कि द्ऊ तोहि गारी था हो हो जाना कुछ हुस हो हों सबहिनमें हों में नाहीं हर हंस बणु देखा एकरंग इंसाके घट भीतरे हसा तूतो सब था हदूसा तू सुवण वण हंसाप्यारे सरवर तजीा हसा मोती बिकातनिया हंसा सरवर तांजि चले हसा सरवर दारीरम हंसा संरार छुरी कुहिया हसा हो चित चेतु सकेरा ट इृद्या भीतर आरसी शा पक रे काहि क्ष्ता छिनमें परल्य सब मिटिज ज्ञानचौतीसा रमेंनी बी हो दाररीके से नष्मि ६ ६ 2 2 0 की न्कज बचे साखी साखीं रमेनी साखी दी री २५ रण १८३ प् ४५ साखी ही बसन्त रसनीा ठाव्द मेज न # ना शब्द हद तर्ज डद व साखी सायखी १ ३३. साखी ३५२ |क्षत्री करे क्षत्रिया घर्मा कर क्र क थे ः क्षेम कुशल आ सही सलासत कहर हे... (५. चर अल अखि. #्. ज्ञान अमर पद बाहिरे. साखी रमेंनी दि ज्ञान रतनकी. कोठरी साखी २५ ह. #५ ५ कही... च. #५ ज्ञानी चतुर 1वेचक्षन छोइ रसेनी रे इति मूठवीजंकके दाब्दनका-सूची- पत्र समाप्त साखी १७९४ ११९ १ १५७० कर गम 5 १६८ न दर
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