निराला काव्य पर बंगला का प्रभाव | Nirala Kavya Par Bangala Ka Prabhav

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Nirala Kavya Par Bangala Ka Prabhav by इन्द्रनाथ चौधुरी - Indranath Chaudhuri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वियय प्रवेश हरे श०-मपक सञ्पतीक ३-+विम्ब कलागत रूप वियास के भल्लगत परम्परानुसार निय्ला का कला के विनिश्न रूपा पर बशीप अ्रभाव की इस अवार सीमासर की यई है । १०-अलक्ार (पाइचात्य अलकादा के प्रभाव पर भी विवचन क्या गया है) <-+पदवियास जिसक अन्तगत वापा भौर चली हा लिया यया है इे-+छम्द डम अध्याय के भरत में कला व प्रन्तिम रूप--भाव और नाया की एक्छपता--पर विवचन कर यह प्रमाणित विया गया है कि निराला भी बला भर वरतु रबी को तरह सपृकत हैं श्रोर कसा का वहीं श्रप्ठ रूप हैः चतुय प्रध्याय म निरामाने गौत पर वयाय प्रभाव का विवेचद निम्नलिखित विपया मे शांघार पर विया गया है--- 2>>प्रायना प्रधान गीव “वारीन्यीटय प्रधात-गीत तथा प्रमन्‍्चीत ३०-प्रद्टति प्रधान गाते ८४--स्वदय प्रम है! गीस 2८>दापतिक गाति प्रन्त मे सम्पूणा विव*ब का उपसहार प्रस्तुत क्रिया गया है जहा निराला का मौजितता पर दा प्रकट ने करत हुए भी उस प्रश्न कार उपस्यापनां नहीं कागईहै। 01412 पअध्तुव निदाय मे मौलिक्ता पर विवचन झपावित नहीं है। जिदाप भी पर के साथ एक परिसिष्ट भी संयुक्त है जहा विशल्ा द्वारा प्रमूरित बगला-कविताधा पर विवचन प्रस्तुत रिया यया है। निरासा व' लिए भनुवाद व्यतित्व सापल रहा है प्र्थात ग्रवुवाटक के व्यक्तिव गये छाप पनुल्ति विपय पर स्पप्दत लॉउन हाती है। झौर रस प्रशर प्रधरण बनुदाद तह सन के बारश इन बनूदित कविताओा की भालाचना प्रस्तुत की गई है जिला प्रभाव के अन्तगत सयाहार हा गया हैं £ तिशला की बचिताप्ों दे इश्क प्रनुवाद * साथ हा निराता द्वारा लिखित एश बंगाल बिता को थी भालाचना प्रक्तुत का गई है जा उनकी दाव्य-पुस्तक मे भराप्त है। इसके स्‍भतिरित परिणिष्ट बा भागगत रबीद व एव बद्रितामा पर लिखिठ निरासा को पराडिया का भी विवद्नन विया यया है बपाकि व भो प्रभाव व शारण हो लिखों गड चात हाती हैं ।




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